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पितृ दिवस

hindi articles, stories and books related to Pitru divas


आज एक पिता अपने मन की भावना को लिख रहा है है जिसने अपनी बेटी की दुर्दशा को शब्दों में व्यक्त किया है।नटखट सी थी वो थोड़ी, थोड़ी शैतान थी।बेटी नहीं थी वो मेरी नन्ही सी जान थी।थोड़ी सी थी वो चंचल थोड़ी

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जो सामने बीत रहा है बचपन। नन्हे पौधे में भी पनपेगा यौवन। ताली एक हाथ से नही बजती, पिता का जीवन है इसमे अर्पण। पूरा संसार घर ले आता भूखा रहकर रुखा सुखा खाता एक नन्हे जान की खाति

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शीर्षक --पिताउस पिता पर क्या लिखूँ ?जो अपनी सारी ख्वाहिशयें लुटा दी,बिना किसी फरमाइश के,उस पिता पर क्या लिखूँ?जिनकी ख़ामोशी में भी,हिम्मत छुपी हो,जिनके हर आवाज में,दुआओं की बारिश हो,उस पिता पर क्या लिख

जी हां मैं पिता हूं। मेरे बच्चों की खुशियों के साथ।कमाता हूं और पालता हूं। हर वक्त हर मुसीबत के साथ।मेरे बच्चे का बचपन मुझे उम्मीद जगाता है।उसकी हर खुशी से मुझे जोश भर आता है।हर वक्त सोचता हूं उसके सु

मैं अपने पापा की प्यारी सी परी हूंपापा अपने जज्बातो को आँसूओ मे बहा नहीं पाते पापा हैं न प्यार जता नहीं पाते...मेरी खुशी में खुश बहुत होते हैं लेकिन खुशी जता नहीं पाते पापा है

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