"ख़ुशी"
1.....खुशी थी इकरार की,
खुमारी थी प्यार की,
सोची कब हो तैयारी,
मिलने की यार से,
चलो इंकार खत्म हुआ,
खुशियों का इकरार हुआ,
आज प्यार का इजहार हुआ।
नादानी
2.....चलो थोड़ी सी नादानी कर बैठे हैं,
अब अदरक वाली चाय पीते हैं,
अब इल्जाम मत लगाना,
खुद को बेकार मत समझना की,
चाय कम पड़ गया।
दिसम्बर
3......देखो फिर से आ गया दिसम्बर,
ख्वाहिशयों का लगा रहा अम्बार,
तुम औकात ही देखते रह गई,
वो पगली तुमसे कर गई प्यार,
जो पूरी न हो सकी वही ख्वाहिश कर गई,
न जाने ये खुद से कैसी फरमाइश कर गई,
हर दुआ बेअसर हो गई,
फिर भी तुझे उससे प्यार न हुआ।
"अच्छी "
4.......इतनी जिम्मेदारी भी अच्छी नही है,
इतनी होशियारी भी अच्छी नही है,
कभी कभी थोड़ा सा नादानी भी कर लो,
इतनी समझदारी अच्छी नही है।