कोविड 19 से 2021 तककुदरत की कहर से, शहर गाँव दोनो कॉप गए।थम नही रही सासे, ऑक्सीजन की कमी से।देवालय, विद्यालय, अस्पतालय सब एक हो गए।अज़ान, घण्टियाँ, गुरु वाणी, चर्च प्रार्थना, सब थम से गए।एम्बुलेंस के सायरन से, अब रूह, जान सब काँपने लगी।देख लाशें कब्र और समशान में, आंकड़े धरे के धरे रह गए।कभी दो बूंद ज
करोना ने महीनों सताया अब आर्थिक प्रहार !कभी तो ऐसा लगता है कि देश में करोना हम आम लोग ही लेकर आये हैं सरकारेसारे टेक्स और महंगाई हम पर ही लादे जा रही है: पहले पेट्रोल डीजलके भावों में बढौत्तरी की अब धीरे धीरे सिलेण्डर,रलवे किराया, बैंक में जमा निकासी पर शुल्क और अन्यउपभोक्ता वस्तुओं की कीमतो