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प्रथा (एक नायिका) 👉 अंतिम भाग

18 अक्टूबर 2021

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प्रेजेंट टाइम

प्रथा घर से बाहर निकली उसकी आंखे नीली हो गई उसने फिर वही शब्द दोहराए अब तुम दोनो की बारी ,,,उसने दूर से ही देख लिया था कि वो लोग कहां हैं ।



मैं और मेरी कहानी का कोई भी किरदार किसी भी तरह के नशे का समर्थन नही करता बस कहानी का मोड़ है ये धन्यवाद 🙏😊


योगेंद्र और सूर्यभान ( वर्धमान राजवीर के साथी ) ,
एक गोदाम में बैठे नशा कर रहे थे , तभी अचानक सामने बंद गेट खुल गया तेज हवाएं चलने लगी योगेंद्र और सूर्यभान को कुछ समझ ही नही आ रहा था,  इधर उधर चीजे खुद से ही गिरने पटकने लगी । 

योगेंद्र ने चौंकते हुए पूछा शराब के मद में लड़खड़ाती हुई आवाज में पूछा अरेरे,,, ये,,, ये,, क्या हो रा,, है अचा,,,,,,, नक से। 

तभी सूर्यभान भी अपनी लड़खड़ाती आवाज में बोला कौन आया है,,, इधर,,।

मौत,,, मौत आई है तुम दोनो की ,,।  प्रथा अपनी नीली आंखों के साथ सामने आ गई । उसके लंबे खुले बाल हवा में उड़ रहे थे । 

तु,,तुम ,, तुम जिंदा कैसे हो ,, तुम्हे तो हमने मार दिया था ।  योगेंद्र ने डरते हुए कहा । 

हां मार दिया था ,,, मार दिया था तुम लोगो ने मुझे पर तुम लोगो ने मुझे भोले नाथ के चमत्कारी मंदिर के सामने मारा था,, ।भोले नाथ की कृपा से मैं फिर जिंदा हो गई । प्रथा ने गुस्से में कहा । 

तो क्या ,,, राजवीर को तुमने ही मारा था,,। कहते हुए सूर्यभान की आंखों में डर था । 

हां मैने ही मारा था उसे , उसके बाथटब में बिजली का तार डाल दिया था मैंने ,,,, और इतना कहकर वो जोर जोर से हंसने लगी , फिर आगे बोली बाथ टब में जैसे ही वो नहाने आया करंट से मर गया , मर गया वो,,।  कहते हुए फिर से वो हंसने लगी ।


हमे छोड़ दो प्लीज 🙏🙏 हमें माफ कर दो । योगेंद्र और सूर्यभान प्रथा के सामने  गिड़गिड़ाने लगे ।

छोड़ दूं ,,, तुम लोगों को छोड़ दूं,,,।  तुमने छोड़ा था , उन मासूम बच्चों को और औरतों को जिनकी तस्करी करते हो तुम ।उन बेचारे बेजुबान सांपो को जिनकी चमड़ी उतार कर बेचते हो तुम लोग । प्रथा की आंखों में गुस्सा था । 

फिर प्रथा ने अपनी आंखों की शक्ति से योगेंद्र को उठाकर तीन चार बार पटका ,, फिर सूर्यभान को इधर उधर हवा में गेंद की तरह उछाल दिया ।

फिर दोनो को आपस में तीन चार बार  टकरा कर जमीन पर पटक दिया , फिर उन दोनो का सर दीवार में तब तक मारा जब तक वो दोनो मर नही गए उन्हे देखने से लग रहा था आपस में लड़कर मरे हों  । ये सब उसने अपनी नीली आंखों से निकलने वाली शक्तियों से ही किया । इसके बाद प्रथा ने खुद को नॉर्मल किया फिर अपने घर चली गई।

रात 9 बजे सूर्या का घर 

प्रथा खाना बना रही थी सूर्या घर वापस आ चुका था । कुछ देर में प्रथा ने डाइनिंग टेबल पर खाना सर्व कर दिया रघुवीर जी , सूर्या और प्रथा तीनों ने खाना खाया । 
फिर सूर्या अपने रूम में चला गया । कुछ देर में प्रथा उसके रूम में दूध का गिलास लेकर आई क्योंकि सूर्या को रात में दूध या चाय पीए बिना नींद नही आती थी । 
प्रथा ने डोर नॉक किया पर कुछ आवाज नही आई तो फिर सीधा उसके रूम में आ गई । 

और सूर्या को आवाज देने लगी । तभी पीछे किसी ने गेट बंद कर दिया । वो सूर्या था प्रथा सूर्या की आहट को पहचानती थी । सूर्या ने पीछे से आकर प्रथा को अपनी बाहों में भर लिया प्रथा को सूर्या का चेहरा उसकी गर्म सांसे महसूस हो रही रही थी तभी सूर्या ने धीमी आवाज़ में कहा । 

क्या हुआ जाना ,,, तुम जबसे आई हो कभी कभी बदली बदली सी लगती हो,,। तुम्हे पता है जाना जब तुम्हारा पता नही चल रहा था और मैं तुम्हे ढूंढ रहा था वो पल मेरे लिए मौत के बराबर था,,,। प्रथा ये सुनकर सिंहर उठी वो तुरंत सूर्या की तरफ पलटी और उसके होठों पर हाथ रखकर बोली । 

दोबारा आपने ये बात कही तो मैं आपसे दूर चली जाऊंगी ,,। 

सूर्या ने तुरंत उसका चेहरा अपने दोनो हाथों में ले लिया और प्यार से बोला जाना मुझे बस तुम्हारे पूरी तरह से ठीक होने का इंतजार है क्योंकि हमारी शादी अभी बाकी है उस दिन वो हादसा न हुआ होता तो सूर्या की आंखे नम हो गई । 

मैं आपको छोड़कर कहीं नही जाने वाली आई प्रॉमिस,,,। प्रथा ने मासूमियत से जवाब दिया । 
तभी सूर्या ने प्रथा के होठों को अपने होठों से डीपली मिला लिया , प्रथा की आंखे बंद हो गई उसने सूर्या के कॉलर को टाइटली पकड़ लिया , पर अगले ही पल उसे कुछ याद आया उसकी आंखे बड़ी हो गई उसने सूर्या को धक्का देकर खुद से अलग कर दिया । सूर्या को कुछ समझ नही आया की प्रथा ने ऐसा क्यों किया कुछ पल बाद ही सूर्या की हालत खराब होने लगी वो गिरने लगा प्रथा ने पकड़ते हुए कहा ,

ये क्या किया सूर्या ,,, 😭 ? रोते हुए प्रथा ने सूर्या को बैड पर लिटा दिया , आप नही जानते मेरे शरीर में ज़हर है सूर्या😭😭 ये शब्द बहोश होने से पहले सूर्या ने सुन लिए थे । तभी प्रथा जोर से चीखी " मणिभद्रा " तुरंत खिड़की का कांच टूटा मणिभद्रा वहां आ गई । और प्रथा की आवाज सुनकर उसके पापा भी आ गए थे। मणिभद्रा नागों की रक्षक थी जो नाग रूप में जन्मी थी लेकिन इंसानी भाषा में बात कर सकती थी । वो एक नागिन थी जिसके पास इंसानों की तरह बोल पाने की शक्ति ईश्वर से वरदान में मिली थी ।  

फ्लैशबैक दो दिन पहले 

प्रथा शादी के दिन मंदिर गई थी वहां से उसे अगवा कर लिया गया और एक सुनसान जगह पर ले जाया गया उसने आस पास देखा तो वो एक पुराने से शिव मंदिर के पास खड़ी थी ,  वहां कोई जल्दी नहीं आता जाता नही था। उसके सामने वर्धमान और उसके आदमी खड़े थे उसने बार बार वर्धमान से मिन्नते की कि वो उसे छोड़ दे उसकी शादी है पर वर्धमान ने तो ठान लिया था कि वो सूर्या को बरबाद करके ही चैन से बैठेगा प्रथा उसे नही मिल सकती तो वो उसे सूर्या का भी नही होने देगा । 
वर्धमान ने पहले प्रथा के सिर को पत्थर पर पटक दिया फिर प्रथा को चाकू से वार करके मार दिया , वर्धमान के वहां से जाने के बाद तेज बिजली कड़कने लगी दिन ढलने लगा था मन्दिर में तेज रोशनी निकली वहां जिसने ये अत्याचार देखा था  वो थी नागों की रक्षक मणिभद्रा,  वो भगवान शिव के मंदिर की चौखट पे अपना सर पटकने लगी और कहने लगी ।
हे भोले नाथ ये कैसा अन्याय है आज आपको इसे जीवन देना होगा मणिभद्रा के सर पटकने से उसका फन खून से सन चुका था ।
अचानक से बारिश होने लगी पानी की बूंदे प्रथा पर गिरी और वो होश में आने लगी तभी मणिभद्रा उसके पास आई होश में आने पर प्रथा उसका नागिन रूप देख कर डर गई पर जैसे ही उसने सुना वो बोल सकती है प्रथा का डर कम हो गया ।

मणिभद्रा ने कहा , मैं नागों की रक्षक मणिभद्रा हूं मैने यहां वो सब देखा जो तुम्हारे साथ हुआ ,,,। 

फिर उसने वर्धमान और उसके सारे साथियों के काले कारनामे प्रथा को बता दिए फिर वो आगे बोली 

हमारी नाग जाति और इंसानों के जीवन पर बड़ा संकट है ये दुष्ट,,,।  तुम एक इंसान हो और मैं नागों की रक्षक मैं तुम्हे अपनी  शक्तियां दे रही हूं जिससे तुम इंसान और नाग दोनो को बचा सकती हो । हमारी मदद करो इन पापियों को खत्म करने के बाद तुम साधारण बन जाओगी पहले जैसी , मेरी शक्तियां वापस मेरे पास आ जायेंगी  । मणिभद्र ने प्रथा से कहा ।

तुमने मुझे बचाया है,,, मैं सभी को बचाऊंगी । मणिभद्रा की सारी शक्तियां प्रथा में समा गई उसकी आंखे नीली हो गई तभी वहां उस मंदिर के पुजारी आ गए उन्होंने प्रथा के घावों पर लेप लगा दिया । उसका शरीर इंसानी था , तो भले ही उसके पास शक्तियां थी फिर भी उसके घावों को भरने में समय लगने वाला था ।

प्रेजेंट टाइम

मणिभद्रा ने सूर्या के शरीर का ज़हर निकाल दिया था उसके बाद वो चली गई  पर सूर्या को हॉस्पिटल ले जाना जरूरी था प्रथा और उसके पापा सूर्या को हॉस्पिटल ले गए और डॉक्टर ने उसे एडमिट कर लिया । वही प्रथा ने अब तक जो कुछ हुआ अपने पापा को बता दिया । फिर वो सूर्या को देखने उसके वार्ड में गई 

तभी पता चला सूर्या हॉस्पिटल में नही है प्रथा ने अपनी आंखे तिरछी घुमाई उसकी आंखे फिर से नीली हो गई उसने अपनी शक्ति से जान लिया सूर्या कहा है।

एक फैक्ट्री में 

वर्धमान चाकू लिए सूर्या के सामने बैठा था ,,। सूर्या अब होश में था 

साले तू हमेशा से मेरी आंखों में खटकता रहा हर चीज में मुझसे आगे और प्रथा वो भी तेरी । 😡😡😡😠 

तभी वहां तेज हवाएं चलने लगी प्रथा वहां आ चुकी थी ।

वर्धमान उसे देखकर चौंक गया और बोला तुम ,, तुम जिंदा कैसे बच गई मैंने तो तुम्हे मार दिया था । 

ये सुनकर सूर्या की आंखे बड़ी बड़ी हो गई उसे विश्वास ही भी हो रहा था कि ये सब उसके दोस्त का किया धरा था । 

हां मार दिया था पर मैं जिंदा बच गई ताकि तुझे मार सकूं ,,। तेरे सारे साथियों को मैने ही मौत के घाट उतारा है अब तू भी मरेगा । 

उससे पहले ये तेरा होने वाला पति मरेगा कहते हुए
वर्धमान ने अपने हाथ में लिये चाकू से जैसे ही सूर्या पर वार करना चाहा प्रथा ने अपनी नीली आंखो की शक्ति से वर्धमान का हाथ उसी की ओर मोड़ दिया और उसका गला खुद ही कट गया ।  वर्धमान मर चुका था उसके काले साम्राज्य का अंत हो चुका था नागों और इंसानों का जीवन सुरक्षित हो चुका था । मणिभद्रा वहां आई प्रथा ने उसकी शक्तियां उसे वापस सौंप दी सूर्या को सारा सच पता चल चुका था ।

दो दिन बाद 

आज प्रथा और सूर्या की शादी हो रही थी सूर्या ने प्रथा की मांग में सिंदूर भरा उसे मंगल सूत्र पहनाया अब प्रथा हमेशा के लिए सूर्या की हो चुकी थी ।

राधे राधे दोस्तों 🙏 ये कहानी का अंतिम भाग था , एक प्रेमिका ने मौत से लड़कर अपने प्यार को फिर से हासिल किया ये थी कहानी बदले की , प्यार की , आपको मेरी कहानी कैसी लगी कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं अगर कोई गलती हुई हो तो माफी चाहती हू धन्यवाद 🙏😊 

श्रद्धा ' मीरा ' ✍️
रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर 👌 👌 👌 👌

3 जनवरी 2022

Jyoti

Jyoti

👌👌👌👌👌

8 दिसम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही अच्छी कहानी आपकी 👌👌👌 लेखिका ने सभी किरदारों का प्रयोग काफ़ी अच्छे से किया है| शुभकामनाएं👍

28 अक्टूबर 2021

Rajan Mishra

Rajan Mishra

बेहतरीन लेखन शैली और उत्कृष्ट पटकथा है आपकी रचना में

18 अक्टूबर 2021

Shraddha 'meera'

Shraddha 'meera'

18 अक्टूबर 2021

धन्यवाद सर

संजय पाटील

संजय पाटील

शानदार 👌👍🙏

18 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
प्रथा (एक नायिका )
5.0
# जहां चाह , वहां राह । #नायिका #बदला #प्रेम #फंतासी ये कहानी है एक प्रेमिका , जिसने मौत से लड़कर अपना प्यार पाया और ईश्वर ने भी उसकी मदद की ,

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