*प्रवित्ती* ( कहानी--प्रथम क़िश्त ) मनोहर देशमुख एक मंझोला किसान था । उनके पिता ने अपनी मेहनत से लगभग 15 एकड़ जमीन अर्जित की थी । मनोहर अपने परिवार का तीसरा सुपुत्र था । उसके दो बड़े भाईयों का नाम नोहर और गजो धर था । अभी वे सभी एक संयुक्त परिवार के तौर से रहते थे । बड़ा भाई नोहर 35 वर्ष का था और मंझले की उम्र 33 वर्ष थी । मनोहर खुद 30 साल का हो गया था । उसने कुल जमा आठवीं तक पढ़ाई की थी । उसके बाद भाईयों के साथ खेती करने में जुट गया था । स्वभाव से मनोहर बड़ा संकोची था लेकिन वो बजरंगबली का बड़ा भक्त था । शरीर से बेहद पुष्ट । मंगलवार और शनिवार को बिना नागा वह हनुमान जी के मंदिर जाता था व दिन भर उपवास भी रखता था । उसने अपनी माता व भाइयों से कह दिया था कि वह विवाह नहीं करेगा । मनोहर की भाभियाँ मनोहर का बेहद ख्याल रखती थी । उसके खाने पीने से लेकर सोने तक । कुल मिलाकर ग्राम देवकर का यह देशमुख परिवार बेहद खुशहाल था । तीनो भाई बेहद मेहनती थे और आपस में बेहद प्यार करते थे । किसी एक को तकलीफ हुई तो बाकी दोनो उसके साथ साये की तरह खड़े हो जाते थे । उनके खेत का बड़ा हिस्सा सोरही नदी के किनारों से लगा था और खेत के उस पार एक छोटा सा जंगल था । जहाँ से मनोहर सप्ताह- प्रति सप्ताह लकड़ियाँ काटकर लाया करता था । कद काठी से बुलंद मनोहर बेहद निडर था । संकट के समय हौसला न खोना व विवेक से काम लेना उसे बड़े अच्छे से आता था।
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