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----- प्री पेड बेबी ------

24 जुलाई 2015

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----- प्री पेड बेबी ------ मृत्युलोक में फाइलों के अंबार से निजात पाने के लिए चित्रगुप्त ने यमराज से गुहार लगाई। उसने बताया कि हरेक आदमी के रोज के कर्मों का मिनट-टू-मिनट हिसाब रखना मुश्किल हो रहा है। वो अकेला है और कोई नया अपायंटमेंट भी नहीं हो रहा है। यमराज ने उसकी मुसीबत समझते हुए तत्काल उसे पूरा सिस्टम डिजिटल करने की अनुमति दे दी। चित्रगुप्त सिस्टम अपग्रेड के फायदे यमराज को समझाने में कामयाब रहा। फिर साफ्टवेयर डेवलप करने वाले हायर किए गए। डेवलपर ने चित्रगुप्त से उसकी रिक्वायरमेंट पूछी। चित्रगुप्त : ‘मैं चाहता हूं की ऐसा साफ्टवेयर बने जिसमें मरने वाले या जन्म लेने वाले का रिकार्ड रखने में कोई झंझट नहीं हो।’ डेवलपर : ‘दो प्रकार के साफ्टवेयर बन सकते हैं जैसे प्रीपेड व पोस्टपेड के होते हैं।’ चित्रगुप्त : ‘वो कैसे होते हैं जरा समझाओ’ डेवलपर : ‘पोस्टपेड का मतलब बाद में हिसाब और प्रीपेड का मतलब हिसाब-किताब पहले से रेडी। बाद में हिसाब का नो झंझट।’ चित्रगुप्त उछल पड़ा। उसने दूसरे वाले पर ऊंगली रख दी। फिर डेवलपर ने चित्रगुप्त से पूछा कि वास्तव में साफ्टवेयर में वो क्या-क्या चाहते हैं। चित्रगुप्त ने बताया कि पृथ्वीलोक के हर आदमी के जाने-आने का वक्त निर्धारित होता है। उसे हम तय नहीं करते। हम केवल उसका हिसाब रखते हैं। उसके कर्मों का, उसके पाप का, उसके पुण्य का। उसके हिसाब से उसका निर्णय होता है। सजा या इनाम तय किए जाते हैं। डेवलपर : ‘सजा माने क्या? और इनाम माने क्या? सजा कितनी व इनाम कितना? प्रीपेड में इसका हिसाब हाथोहाथ हो जाता है’ चित्रगुप्त ने यमराज से सलाह मशवरा किया और डेवलपर से भी उसकी राय पूछी। डेवलपर ने सुझाया कि पुण्य या पाप करने वाले की वेलिडिटी (आयु) घटाई-बढ़ाई जा सकती है। और यही टेकनिक सक्सेस भी है और आजमाई हुई भी। इस पर सहमति बनी और शुरू हुई यमलोक की प्रीपेड सर्विस की ट्रायल। प्रीपेड प्लान के मुताबिक मनुष्य की तयशुदा आयु वाला चिप लगा कर तथा उसकी वेलिडिटी सेट कर उसे पृथ्वी पर जन्म लेने दिया जाए। जन्म लेने के तत्काल बाद से रोजाना उसकी वेलिडिटी अपडेट कर उसकी जिंदगी के बेलेंस दिनों की जानकारी रोज डिस्पले हो। पाप करने पर बेलेंस कम होने और पुण्य करने पर बढ़े हुए बेलेंस दिनों की कन्फर्मेशन इमिडिएट दिया जाए। भारतीय दंड संहिता में जिस अपराध के लिए जितने दिन की सजा का प्रावधान है कुछ कुछ उसी प्रकार उतने दिन की वेलिडिटी कम करने पर सहमति बनी। लेकिन पुण्य करने पर वेलिडिटी बढ़ाने पर सब की राय जुदा थी क्योंकि किसी भी देश में पुण्य करने पर पुरुस्कृत करने का कोई कानून नहीं है। इस मसले पर कॉमन डेज तय किया गया। पुण्य करने पर वेलिडिटी में हफ्ते भर की वृद्धि। तय कर लिया गयाकि झूठ बोलने पर वेलिडिटी में सात दिन, परीक्षा में नकल करने पर 30 दिन, चोरी करने पर 1 साल दिन, छेड़छाड़ करने पर 2 साल, बलात्कार करने पर 5 साल, कत्ल करने पर 20 साल, भ्रष्टाचार करने पर उसकी गंभीरता के हिसाब से 5 से 10 साल घटा लिए जाएं और मनुष्य को मोबाइल की तरह बेलेंस की जानकारी तत्काल डिसप्ले की जाए।मनुष्य की आयु पूरा होने से सप्ताह भर पहले उसे चेता दिया जाए कि उसकी वेलिडिटी निपटने को है जैसा डीटीएच या मोबाइल वाले करते हैं। इससे वेलिडिटी खत्म होने के बाद उसे लोकेट करने में भी यमराज को कोई दिक्कत नहीं होगी। यमराज : ‘पर ये डिसप्ले होगा कैसे व कहां?‌’ ‌ डेवलपर : ‘नो प्रॉबल्म, आंखों मे होगा डिसप्ले। जब भी वो आंखे बंद करेगा या झपकाएगा, दिन में एक बार हम डिसप्ले कर देगे। ’ नया साफ्टवेयर तैयार हो गया और उसे मृत्युलोक के सर्वर से जोड़ दिया गया ताकी डाटा अपने आप सेक्योर हो सके। चित्रगुप्त : ‘ये साफ्टवेयर 15 वर्ष की आयु में एक्टिवेट हो तो बेहतर क्योंकि उससे कम उम्र वाले को पाप/पुण्य की कैसी समझ’ डेवलर : ‘नो सर, यू आर रांग। हमारे यहां 15 साल वाला भी निर्भया कांड कर बैठता है।’ फिर तय हुआ कि दस साल की उम्र में साफ्टवेयर एक्टिवेट किया जाए। और प्रीपेड की तरह पहला प्रीप्रोग्राम बेबी ट्रायल के लिए धरती पर भारत में जन्म लेने भेजा गया। दस साल की उम्र के बाद उसका हिसाब-किताब, जोड़ घटाना चलता रहा। सेंट्रल सर्वर में चित्रगुप्त उसकी मॉनिटरिंग करते रहे। चित्रगुप्त ने देखा कि प्रीप्रोग्राम मानव बड़ी लापरवाही से अपनी वेलिडिटी खर्च कर रहा है और पाप/पुण्य का हिसाब लगाए बिना जी रहा है। इससे तो उसकी वेलिडिटी जल्द खत्म होने का अंदेशा है। और चित्रगुप्त का अंदेशा सही साबित हुआ। प्रीप्रोग्राम मानव की आयु मात्र आठ दिन बची तो उसे तीन में से पहला अलर्ट भेजा गया। यमरज ने चित्रगुप्त को निर्देश दिया कि उस पर नजर रखे। वेलिडिटी खत्म होते ही उसे वापस बुलाना जो है। प्रीप्रोग्राम मानव का तीन दिन शेष था। उसे अंतिम अलर्ट मैसेज करना था पर वो मैसेज डेलीवर ही नहीं हो पा रहा था। घबराए चित्रगुप्त ने सॉफ्टवेयर डेवलपर को तलब किया और समस्या बताई। डेवलपर ने अपने लेपटॉप पर प्रीप्रोग्राम मानव के चिप्स की एक्चुअल पोजिशन निकालने की कोशिश। उसने चित्रगुप्त को बताया कि प्रीप्रोग्राम मानव आउट ऑफ कवरेज आ रहा है। लगता है वो कवरेज एरिया से बाहर निकल गया। डेवलपर ने ईयरफोन पर चित्रगुप्त को सुनाया जहां आवाज आ रही थी, ‘जिस व्यक्ति से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है वो अभी कवरेज क्षेत्र से बाहर है।’ हैरान परेशान यमराज व चित्रगुप्त ने पूछा ऐसा कैसे हो गया। हमारे प्रोग्राम में कहां भूल रह गई। डेवलपर : ‘हमारे प्रोग्राम में कोई भूल नहीं हुई बल्कि वो प्रीपेड/प्री प्रोग्राम मानव बड़ा शातिर निकला। उसने डाटा रोमिंग को डिएक्टिवेट कर दिया और नेटवर्क से बाहर चला गया। जब तक वो रोमिंग एक्टिवेट नहीं करेगा तब तक पकड़ में नहीं आएगा’। यमराज ने घूर कर चित्रगुप्त की ओर देखा और चित्रगुप्त ने डेवलपर की ओर।
ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

कमलेश जी, आधुनिक तकनीक और कल्पना का सुन्दर मिलान करके आपने लाजवाब व्यंग्य रच दिया...बहुत बधाई !

25 जुलाई 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

वर्तमान हालात के अनुसार एक रोचक रचना

24 जुलाई 2015

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----- प्री पेड बेबी ------

24 जुलाई 2015
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----- प्री पेड बेबी ------ मृत्युलोक में फाइलों के अंबार से निजात पाने के लिए चित्रगुप्त ने यमराज से गुहार लगाई। उसने बताया कि हरेक आदमी के रोज के कर्मों का मिनट-टू-मिनट हिसाब रखना मुश्किल हो रहा है। वो अकेला है और कोई नया अपायंटमेंट भी नहीं हो रहा है। यमराज ने उसकी मुसीबत समझते हुए तत्काल उसे पू

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दु:ख वाचक चिन्ह

29 जुलाई 2015
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दु:ख वाचक चिन्ह यूं तो हिंदी भाषा बेहद समृद्ध है तथा इसके शब्दों के तरकश में वो हर तरह के तीर हैं जिसे हम भावना के हर टारगेट पर दाग सकते हैं। लेकिन कुछ भाव व संशय ऐसे होते हैँ जिसे व्यक्त नहीं किया जा सकता, कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिसे पूछा नहीं जा सकता। फिर भी संशय व सवाल दोनों ही मन में पैदा तो होत

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