प्रेम का स्थान रिक्त रखूंगी
ना मांगूंगी कभी स्थान रुक्मणि का,
ना हृदय में राधा बनकर रहूंगी,
मै बनुगी तुम्हारे प्रेम में बस मीरा,
सर्वदा तुम्हारे प्रेम की प्रतीक्षा करूंगी,
अभिलाषा नहीं सदा पाऊं प्रेम तुम्हारा,
पर तुम बिन प्रेम का स्थान रिक्त रखुंगी...