उत्कृष्ट प्रेम
जब प्रेमी, प्रेमिकाएं प्रेम में पड़ते है तो बहुत
अद्भुत अनुभूति होती है। किंतु जब प्रेम में
बिछड़ते है तो अत्यंत पीड़ा झेलनी पड़ती है
क्या असल में प्रेम इतना उत्कृष्ट होता है ?
जितना प्रेम में पड़ते ही सारे प्रेमी या कवी,
कवित्री उसका उल्लेख करते है ?
कभी चांद तो कभी सितारे या फूलों, रंगों से
प्रेमी / प्रेमिका की उपमा देते है उनकी
व्याख्या करते है। और प्रेम को बेहद
खूबसूरत बना देते है
सत्य तो ये है की प्रेम में झूठ की शुरुवात
ही शायद लोग वहीं से करते है जिस पर
विश्वास कर क्षणिक मात्र प्रेम में लोग
वार देते है अपना सर्वस्व
अपने प्रियतम / प्रेयसी पर....
प्रेम पे जितना लिखे कम ही होगा
प्रेम जितना खूबसूरत है उतना हृदविदारक भी
प्रेम तो किस्सो कहानियों की बातें रह गई बस
अब तो प्रेम के नाम पर सिर्फ खिलवाड़ होता है
कहा किसी को किसी से सच्चा प्यार होता है ।
मेरे लिए प्रेम पाना नही बल्कि प्रेम को हार कर
उसे जीत लेना है...