मुस्कुराहट से रोशन है ये ज़िंदगी,जैसे चाँदनी से सजी हो रात।हर लफ़्ज़ में बस महक हो प्यार की,जैसे बहारों का हो कोई जश्न।
रतन नवल टाटा का निधन भारत और दुनिया भर में उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने अपनी लगन, मेहनत और समाज के प्रति जिम्मेदारी के भाव से न केवल टाटा समूह बल्
तुम जो पूछो, अपनी अहमियत मुझसे, तो सुनोएक तुझको, जो चुरा लूं तो जमाना, गरीब हो जाए
तुम्हारें बिछड़ने का मलाल नहीं चाहताइसलिए तुम्हें हर हाल में पाना चाहता हूँ
मुद्दत बाद उसने पूछा, कहां रहते हो हमने मुस्कुरा के कहा, तुम्हारी तलाश में
ना जाने कौन सा ऐसा छुपा हुआ रिश्ता है तुमसेहजारों अपने है पर याद तुम ही आते हो
रेस वो लोग लगाते है जिसे अपनी किस्मत आजमानी हो, हम तो वो खिलाडी है जो अपनी किस्मत के साथ खेलते है!
सच्चा मित्रएक गाँव में एक व्यापारी अपनी पत्नी और बारह साल के बेटे, अनीश के साथ बहुत खुशी - खुशी रहता था। व्यापारी के कारोबार में दिन - रात तरक्की होती थी। अनीश इकलौती सन्तान होने के कारण लाड - दुलार म
रंग बिखेरते फूलएक कस्बे में एक सामान्य परिवार निवास करता था। परिवार में पति हरि प्रसाद और पत्नी नारायणी और दो बेटे थे - बड़ा बेटा सुरेश और छोटा बेटा मनोज। दोनों की विद्यालय जाने की उम्र हो गयी थी। दोनो
प्रेम ( पति - पत्नी का ) एक साहूकार जी थे उनके घर में एक गरीब आदमी काम करता था । जिसका नाम था । मोहन लाल जैसे ही मोहन लाल के फ़ोन की घंटी बजी मोहन लाल डर गया । तब साहूकार जी ने पूछ लिया ?"मोहन लाल
छलित एहसास मैं अक्सर ही रातों को चौक कर गहरी निंद्रा से जाग जाती हूंऔर मन में शुरू हो जाता है एक अंतर्द्वंद उस क्षण मैं सोचती हूं की आखिर क्यों मुझे अक्सर मध्य रात्रि गए ये कैसीअनु
उत्कृष्ट प्रेमजब प्रेमी, प्रेमिकाएं प्रेम में पड़ते है तो बहुत अद्भुत अनुभूति होती है। किंतु जब प्रेम में बिछड़ते है तो अत्यंत पीड़ा झेलनी पड़ती है क्या असल में प्रेम इतना उत्कृष्ट होता
विश्वास की पक्की डोर जिसे हम प्रेम समझने की भूल कर बैठे थे दरसल वो तो किसी और के लिए महज वक्त गुजारने का जरिया भर थाक्यों सही कहा ना ? वक्त ही तो गुजारना था ना तुम्हे और कमबख्
प्रेम का स्थान रिक्त रखूंगीना मांगूंगी कभी स्थान रुक्मणि का, ना हृदय में राधा बनकर रहूंगी,मै बनुगी तुम्हारे प्रेम में बस मीरा, सर्वदा तुम्हारे प्रेम की प्रतीक्षा करूंगी, अभिलाषा नहीं सद
फूल और तितलीएक तितली मायूस सी बैठी हुई थी । पास ही से एक और तितली उड़ती हुई आई । उसे उदास देखकर रुक गई और बोली - क्या हुआ ? उदास क्यों इतनी लग रही हो ?वह बोली - मैं एक फूल के पास रोज जाती थी । हमारी आ
दिनू की कहानीएक समय की बात है । खेड़ा नामक एक गांँव में एक अमीर साहूकार हेमा रहता था । वह बहुत ही धनवान था । गाँव के लोग उसका बहुत सम्मान करते थे । इस वजह से साहूकार घमण्डी और अहंकारी हो गया था ।
मोबाइल ( उपहार का डिब्बा ) एक समय की बात है । सुबह विद्यालय जाते समय टप्पू को एक उपहार का डिब्बा सड़क के किनारे पर लावारिस मिला था । उस उपहार के डिब्बे में एक नया मोबाइल रखा हुआ था । उस डिब्बे को
एक़ अक्ष सा दिखता है, एक़ ही शख़्स सा दिखता है, जहाँ जाता हूँ, लोग मुझमें आपको देखतें हैं, आपकी पहचान बताते हैं, तुम पापा जैसे दिखते हो, वैसे ही बात करते हो, वैसे ही
ये कदम रुके नहीं, अब कभी थके नहीं, आसमान की परिक्रमा ही लक्ष्य है। @नील पदम्
कल की जैसे बात है, नारी कमजोर जात है, पर कौन अब कहेगा, ये अशक्त है। @नील पदम्