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प्रेम

6 सितम्बर 2021

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ख्वाब  आंखों  में  तेरे  ही   समाए   है
कुछ  लम्हे दिल में  यूं  उतर   आए   है

ये  सरूर तेरा  है  या मेरी तिश्नगी*  का 
हर तरफ  क्यों मौजूद फिर तेरे साए  हैं





* तिश्नगी  : प्यास. लालसा

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आहा क्या खूब लिखा है आपने 👌👌👌🙏🙏

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इस इज्जत अफजाई के लिए आपका 🙏 शुक्रिया 🙏

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