31 मार्च 2016 तक 16.5 लाख करोड़ का काला धन देश में था. इस रकम का ज्यादातर हिस्सा करेंसी नोटों के तौर पर जमाकर रखा हुआ था जो करप्शन या ‘केवल कैश ट्रांजैक्शन’ के जरिये जमा की गई ब्लैक मनी थी.
सरकार के ताजा फैसले के बाद वो लोग ही 30 दिसंबर 2016 तक बैंकों में बड़े नोट जमा करने की हिम्मत जुटा पाएंगे जिन लोगों ने कानूनी तरीके से पैसे कमाए हैं. जिन लोगों ने अवैध तरीके से पैसे कमाए हैं उनकी हालत खराब हो जाएगी क्योंकि डेडलाइन खत्म होते ही ये नोट रद्दी के भाव बिकेंगे.
इस फैसले से उन लोगों पर क्या असर होगा जिनके पास अथाह ब्लैक मनी है. वो पहली कोशिश करेंगे कि इन पैसों से सोना खरीद लिया जाए. डेडलाइन खत्म होने तक सोना और निवेश के ऐसे साधनों की मांग बढ़ जाएगी. लेकिन उसके बाद क्या होगा. सरकार देशभर में सोने की बिक्री पर अंकुश लगाएगी.
सरकार के ताजा फैसले से प्रॉपर्टी की कीमतें गिरेंगी. क्योंकि देश में अधिकतर प्रॉपर्टी कैश के जरिये खरीदी जाती है जो ब्लैक मनी की खेप के जरिये आती है. एक अनुमान के मुताबिक प्रॉपर्टी के जुड़े कारोबार का करीब आधा हिस्सा ब्लैक मनी और बेनामी ट्रांजैक्शन पर आधारित है.
रिजर्व बैंक के मुताबिक देश में चल रहे नोटों में 45 फीसदी 500 रुपये के हैं जबकि 39 फीसदी 1000 रुपये के हैं. इस वक्त करीब 16 अरब 500 रुपये के नोट और 6 अरब 1000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में हैं. इस तरह सरकार ने एक झटके में 84 फीसदी नोटों को बंद कर दिया है. इसीलिए देशभर में बैंकों और एटीएम को दो दिनों तक बंद रखने का भी ऐलान करना पड़ा. 500 और 1000 के पुराने नोट बदलने और इनकी जगह 500 और 2000 के नए नोट लाने के लिए रिजर्व बैंक को 10 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ सकते हैं. 5000 और 10 हजार के नोट जैसी बड़ी करेंसी लाए जाने की भी अटकलें हैं. हालांकि, ब्लैक मनी जमा करने की होड़ की आशंका के मद्देनजर सरकार ने इस तरह के प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
एक अनुमान के मुताबिक हमारे देश में ब्लैक मनी हमारी जीडीपी की एक-चौथाई से लेकर 2-3 गुना तक हो सकती है. ऐसे में ब्लैक मनी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार का यह बड़ा फैसला है. लेकिन नोट बंद किए जाने का यह मामला दुनिया में पहला नहीं है. इससे पहले इस साल यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने कहा था कि वो 500 यूरो के नोट बंद करने पर विचार कर रहा है. अमेरिका में भी 100 डॉलर के नए बिल जारी करने पर रोक लगी है. 2010 में 2.6 अरब डॉलर कीमत के एक डॉलर के बिल नष्ट किए गए थे. दुनिया में करेंसी नष्ट करने की यह अब तक की सबसे बड़ी घटना थी.