"हे किसान ! डिजिटल हो जा या मर जा"
बिना किसी चुनावी मौसम के,बिना किसी राजनैतिक पार्टी के झंडे के...राजधानी के केंद्र बिंदु में बैठ कर प्रदर्शन करना किसानों की निरक्षरता को प्रमाणित कर बैठा है।बिना चुनावी मौसम के तो नेता अपने घरवालों की न सुने..तुम किसान किस खेत की मूली हो।कुछ हद तक गलती किसानों की भी है।डिजिटल इंडिया के इस दौर में धर