अगस्त महीने की आखिरी किताब थी जीनेट वॉल्स की लिखी 'द ग्लास कैसल'। जीनेट वॉल्स एक अमरीकी जर्नलिस्ट हैं और ये उनका लिखा संस्मरण है। एक किताब जो उनके और उनके पिता के रिश्ते के बीच कुछ तलाश करती हुई सीधे दिल में उतरती है और कुछ हद तक उसे तोड़ भी देती है।इंसान एक परिस्थितिजन्य पुतला है। उसका व्यक्तित्व पर
अगस्त के लिए चार किताबों का लक्ष्य था और येकिताबें सोचीं थीं:1. Metamorphosis (फ्रैंज काफ्का)2. गुनाहों का देवता (धर्मवीर भारती)3. मेरे मंच की सरगम (पीयूष मिश्रा)4. Home and the World (रबिन्द्रनाथटैगोर) इनमें से 'मेरे मंच कीसरगम' और 'Home and the World' की delivery ही नहीं हो पाई।इसलिए इन दो किताबों
अगस्त महीने की तीसरी किताब थी - गुनाहों का देवता। किताब के लेख क हैं धर्मवीर भारती। बहुत कुछ सुना था इस किताब के बारे में। इस किताब को मेरे जान-पहचान के बहुत लोगों ने recommend भी किया था। ये हिन्दी रोमैंटिक उपन्यासों में सबसे ज़्यादा ल
अगस्त महीने की दूसरी किताब थी - "मिसेज़ फनीबोन्स"। किताब की लेखिका हैं ट्विंकल खन्ना। ट्विंकल खन्ना, जिन्हें ज़्यादातर लोग कई रूप में जानते हैं - राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया की बेटी, अक्षय कुमार की बीवी और एक फ्लॉप एक्ट्रेस। लेकिन इनके अलावा इनकी एक शख्सियत और है। ये बात अक्सर मध्यम वर्गीय लोगों में
किसी भी देश के द्वारा चुनी गई आर्थिक नीतियाँ केवल वहाँ के नागरिकों की सामाजिक और आर्थिक ज़िंदगियों पर ही असर नहीं डालतीं बल्कि उन ज़िंदगियों की पारिवारिक और नैतिक बुनियादें भी तय करतीं हैं। ग्रेगोर साम्सा नाम का एक आदमी एक दिन सुबह-सुबह नींद से जागता है और अपने आप को एक बहुत बड़े कीड़े में बदल चुका हुआ
तो इस महीने तीन किताबें पढ़ीं: 1. 2014 The Election That Changed India (राजदीप सरदेसाई)2. खुशवंतनामा (खुशवंत सिंह)3. कितने पाकिस्तान (कमलेश्वर)अगस्त का टार्गेट 4 किताबों का है और ये चार किताबें हैं:1. Metamorphosis (फ्रैंज काफ्का) 2. गुनाहों का देवता (धर्मवीर भारती)3. मेरे मंच की सरगम (पीयूष मिश्रा)
पाकिस्तान क्या है? क्या सिर्फ एक देश जिसने भारत से अलग हो कर अपना वजूद तलाशने की कोशिश की? या फिर पाकिस्तान एक सोच है? एक सोच जिसमें कि एक ही देश के लोग अपने बीच एक सेकटेरियन मानसिकता को पहले उपजाते हैं, फिर उसको सींचते हैं और फिर हाथों में हंसिये और कुदाल ले कर उसी फसल को काटते हैं। एक ऐसी सभ्यता ज
अभी हाल में राजदीप सरदेसाई की किताब '2014 दि इलेक्शन दैट चेंज्ड इंडिया' पढ़ी। एक ही शब्द है लाजवाब। 2014 में हुए इलैक्शन का इससे अच्छा ब्यौरा दे पाना मुश्किल है। किताब में 10 चैप्टर हैं और इनके अलावा एक भूमिका और एक एपिलॉग भी है। राजदीप सरदेसाई मीडिया में एक जाना पहचाना नाम हैं। 2008 में उन्हें पद्मश
नौ दस वर्ष की उम्र में कॉमिक्स पढते हुए जाने कब ओशो को पढ़ना प्रारम्भ कर दिया ठीक से याद नहीं आता |ओशो की नानक पर एक पुस्तक "एक ओमकार सतनाम" पढते हुए उस वक्त ऐसा लगा कि कोई नया द्वार खुल गया हो | और फिर एक सिलसिला चल पड़ा पुस्तकें पढ़ने का | ओशो के अतिरिक्त जे. कृष्णमूर्ति, दलाई लामा, आचार्य महाप्रज्ञ,
अभी हाल ही में जो क़िताब ख़तम की वो है मनु शर्मा की लिखी 'नारद की भविष्यवाणी'। मनु शर्मा ने कृष्ण की कहानी को आत्मकथात्मक रूप में लिखा है। ये क़िताब 'कृष्ण की आत्मकथा' सिरीज़ का पहला भाग है। लिखने का तरीका मौलिक है। कृष्ण की कहानी टीवी सीरियलों में कई बार देख चुके हैं। लेकिन एक व्यक्तित्व के रूप में उनक