नौ दस वर्ष की उम्र में कॉमिक्स पढते हुए जाने कब ओशो को पढ़ना प्रारम्भ कर दिया ठीक से याद नहीं आता |
ओशो की नानक पर एक पुस्तक "एक ओमकार सतनाम" पढते हुए उस वक्त ऐसा लगा कि कोई नया द्वार खुल गया हो | और फिर एक सिलसिला चल पड़ा पुस्तकें पढ़ने का |
ओशो के अतिरिक्त जे. कृष्णमूर्ति, दलाई लामा, आचार्य महाप्रज्ञ, सद्गुरु सभी ने ना सिर्फ प्रभावित किया बल्कि जीवन में बहुत कुछ जोड़ा भी | पाठ्यक्रम के दौर से लेकर आज तक प्रेमचंद की कहानियाँ हमेशा ही प्रेरणा बनी हैं |
आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक "खोज समाधान की" भी बेहद प्रेरक रही | महाप्रज्ञ जी को पढ़कर आश्चर्य होता है कि कोई कैसे जीवन दर्शन जैसे विषय पर इतनी सहजता से सब स्पष्ट कर सकता है |
दलाई लामा की पुस्तक "द आर्ट ऑफ हैप्पीनेस" बेहद रोमांचक लगी | अमृता प्रीतम की आत्मकथा , पढकर महसूस किया कि कितना कठिन होता है सत्य के साथ खड़े होकर लिखना | एक लेखक और व्यक्ति के रूप में अमृता प्रीतम ने भी प्रभावित तो किया ही |
हरिवंश राय बच्चन की कई कविताएं हैं जो कहीं मन में गहरे बैठी हुई हैं, "क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?" मेरी प्रिय कविताओं में से एक है | और भी ना जाने कितना कुछ है पुस्तकों में.. जो सदैव मेरी प्रेरणा बना !