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प्यार और किस्मत के बीच जिंदगी

1 दिसम्बर 2021

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जिंदगी बहुत सुहानी है बस सफर अंजाना है ।
मिलते बहुत है मगर अपनों  को अक्सर छूट जाना है 

बड़ी कसम कस है जिंदगी में रुके तो सपने टूट जाएंगे।
अगर चलते चले जाएं तो पीछे अपने ही छूट जाएंगे।।

चन्द कदमो पर टिका था उस वक्त फैसला जिंदगी का। 
सामने मंजिल थी पीछे तुम ये कैसा इम्तिहान था जिंदगी का।।

मैने मंजिल को चूना जो दर्द भरा मेरा सफर था
किस्से बयां करता पीर अपनी,न कोई मेरा रहगुजर था

कैसे भरोसा करोगे मेरा तुम उन लम्हो का ।
मेरे वादों का मेरी कसमो का।।

जाना तो नही था  तुम्हे ऐसे छोड़कर ।
पर क्या करूँ लाया गया था मैं उस मोड़ पर ।।

आ गया हूँ आज जिंदगी के उस मुकाम पर।
मुसकरा देता हूं लेकर तुम्हार नाम जुबान पर।।

न शोहरत की चाह रही न दौलत को पूजता हूँ।
रहते  कहाँ हो तुम बस यही पता पूछता हूँ ।।।

न आपका शहर पता है न अपना शहर पता है।
पिये जा रहा हूँ आज तक न वो जहर पता है ।।

जी मे आया था एक बार कि मैं रुक जाऊं।
बस सामने तुम्हारे झुक जाऊं।।

पर क्या करूँ तुमने झुकने न दिया।
और वक्त ने मुझे रुकने न दिया।।

बड़ी मुश्किल वो घड़ी थी ।
जब सारी कायनात रो पड़ी थी।।

न वक़्त पिघला न मिजाज ए जिन्दगी बदला।
ए मेरे हमसफ़र तुझे छोडकर भारी कदमो से मैं चल पड़ा।।

मिला जब  भी कोई नया वस तेरी तस्वीर नजर आयी।
जिक्र क्या करते उनसे अब क्योकि होनी थी जुदाई।।

जिंदगी के सिले भी मैने बड़े अजीब सुने थे।
बहुत दूर दिखे बो रिश्ते जो करीब सुने थे।।

याद आउँ में तो शीशे पे तस्वीर बनाना ।
जिदगी जीतकर आऊंगा बस दिल से आवाज लगाना।।


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कविता सागर
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यह पुस्तक केवल कविताओं ग़ज़ल या हास्य कविताओं के लिये है

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