मोहिनी आज अपने ऑफिस पहुंची , वह अपने जिले की कलेक्टर थी , सर्विस ज्वाइंट करने के बाद यह उसकी दूसरी पोस्टिंग अपने ही जिले में हुई थी यह उसके लिए बहुत गौरव की बात थी , उसके मम्मी पापा तो बहुत ही खुश हुए थे , उनके लिए इस से बड़ी बात क्या हो सकती की वह सब एक कलेक्टर बेटी के माता पिता थे , कहां उनके घर वालो ने मोहिनी को पढ़ाने का बड़ा विरोध किया था , उसके माता पिता बहुत ही गरीब थे तो उसे पढ़ाने के लिए अपने भाइयों और रिश्तेदारों से उधार मांगते थे तो लोग कहते थे की लड़की जात को इतना पढ़ाने की क्या जरूरत है ,शादी वादी करके पिंड छुड़ाओ,*"!!
अधिक पढ़े लिखे न होने के वजह से वह एक स्कूल में चपरासी का कार्य करते थे , और वैसे भी लड़कियों की पढ़ाई मुफ्त थी पर बाकी खर्चे तो करने पड़ते थे , एक कमरे का घर तो उनके माता पिता छोड़ के गए थे तो उन्हे रहने की प्रोब्लम नही थी ,और आज वह लोग छ कमरे के एक बड़े बंगले में रह रहे थे और पूरी सरकारी व्यवस्था के साथ ,*"!!
आज मोहनी का ऑफिस का पहला दिन था तो ऑफिस में स्वागत की पूरी तैयारी थी , सभी लोग बहुत भव्य तरीके से अपने शहर के बेटी का स्वागत करते हैं ,*"!!
मोहिनी अपने केबिन में बैठते ही चपरासी से को भी पेंडिंग फाइल्स है लाने को कहती है , वह लाकर रखता है, !!
वह दो फाइल देख कर तीसरी फाइल को लेकर खोलती है तो चौंक उठती है , वह फाइल में लिखा नाम पढ़ती है ,*" सुनंदा ठाकुर , पिता ब्रंहदेव ठाकुर ,!!
वह दो बार उसे पढ़ती है ,फिर उसका पता देखती है , फिर सोचने लगती है ,!!
सुनंदा और मोहिनी दोनो ही महिला कॉलेज की सबसे बेस्ट स्टूडेंट थी ,और दोनो ही अच्छी मित्र थी , करीब करीब पूरे दिन ही साथ रहती साथ ही घूमती और साथ ही मस्ती मजाक करती , उनके आपस के लगाव को देख तो कई लड़कियां जल भुन जाती थी पर उन दोनो को कोई परवाह नही रहती थी ,!!
मोहिनी गरीब घर की थी पर सुनंदा अच्छे बड़े घर की थी , साल में तीन चार जोड़ी कपड़े तो वह मोहिनी को अपनी ओर से देती थी जिस से उसे कपड़े की तंगी नही होती थी , जबकि कई बार मोहिनी कहती भी थी*" यार तुम मुझे कपड़े मत दिलवाया करो तो वह मजाक में कहती थी ,*" ओय मैं तुझ पर कोई अहसान नही करती हूं, अपने लेबल के लोगो के साथ रहना चाहती हूं इसलिए ये दिलवाती हूं की तु भी मेरी तरह कपड़े पहने *"!!
और फिर सॉरी बोल कर कहती *"यार मजाक कर रही थी , पर मुझे अच्छा नही लगता है की मेरी सहेली मुझसे खराब कपड़े पहने , मैं तेरे गरीबी का मजाक नही उड़ा रही हूं ये मेरी अपनी सोच है *"!!
इस बीच एक बाधा उनके बीच आ गया था जीवन ,*!!
जीवन उसी क्लासेज में जाता था जहां ये दोनो भी जाती थी वैसे गर्ल्स का क्लास अलग था ,और बॉयज का अलग था , वह तो एक दिन किसी काम से वह उसके क्लास में आया और गलती से मोहिनी से टकरा गया था , और फिर सॉरी बोल कर चला गया था फिर वह उसे बार बार दिखने लगा था कभी कॉलेज के बाहर अपने दोस्तो के साथ गप्पे मारता दिखता तो कभी क्लासेज के सामने के रेस्टोरेंट में बैठा दिखता , मोहिनी समझ गई थी वह उसके पीछे पड़ा है और वह भी उसे अच्छा लगने लगा था ,वैसे वह किसी बड़े घर का लड़का था , कार में आता था , महंगे ब्रांडेड कपड़े पहनता था , और गरीबी की मारी मोहिनी एक ऐसे राजकुमार का ख्वाब देखने लगी थी जिसको पाने के बाद उसके सभी दुखो से छुटकारा मिल सकता था , *"!!
वह सुनंदा से यह बात बताती है तो वह बड़ी खुश होती है ,पर जब उसे पता चलता है की जीवन शहर के सबसे बड़े बिजनेस मैन का बेटा है तो उसे मोहिनी से थोड़ी जलन होने लगती है , उसे लगता है की यह लड़का तो उसके लायक हैं , मोहिनी तो उसके स्टैंडर्ड की नही है , और वह जीवन और मोहिनी के बीच टांग अड़ाने लगती है , सुंदर तो दोनो ही बहुत थी पर कहते हैं दिल जिस पर आ जाए वह सबसे सुंदर ,!!
जीवन को तो पहले दिन से ही मोहनि पसंद आ गई थी, *"!!
एक दिन बातों बातों में पता चलता है की जीवन के पिता और उसके पिता अच्छे मित्र है और रोज साथ में ही बिलियर्ड्स खेलते हैं ,तो वह एक दिन मौका देख पिता से कहती हैं,*" पापा मुझे जीवन बहुत पसंद है , प्लीज मेरी उस से ही शादी करवा दीजिए ,*"!!
उसके पिता तो खुश हो जाते हैं ,वह तो खुद ही जीवन के पिता से बात कर चुके थे और ग्रेजुएशन के बाद शादी करने की सोच ही रहे थे,*"!!
मोहिनी को उस दिन बहुत बड़ा धक्का लगता है जिस दिन सुनंदा अपने सगाई का निमंत्रण उसके हाथ में रखती है ,जिसमे उसके और जीवन का फोटो भी लगा था, मोहिनी सुनंदा को देखती है तो वह हड़बड़ा कर कहती है ,*" यार सॉरी वो मेरे डैड और जीवन के डैड दोस्त हैं, और उन्होंने पहले ही हमारा रिश्ता तय कर दिया था ,मोहिनी की आंखो में आंसु आते हैं तो वह जल्दी से उसे छुपाकर आंखे पोछ लेती है और उसे बधाई देते हुए कहती है ,*" बधाई हो सुनंदा वैसे मैं उसके बराबर की थी नही ,कहां वह करोड़पति लोग और मैं एक साधारण चपरासी की बेटी जिन्हे दो वक्त की रोटी भी रोज नसीब नही होती ,*"!
सुनंदा कहती है ,*" तु चिंता मत कर, तेरे लिए भी कोई अच्छा क्लर्क या सी ग्रेड का ऑफिसर देख लेंगे ,मेरे डैड की बहुत पहचान है , *"!!
सुनंदा जाती है , मोहिनी का तो सपनो का महल बनने से पहले धारासाई हो गया था , उस दिन उसे सुनंदा पर बहुत गुस्सा आया था, उसके बाद उसके अंदर एक जिद्द आ गई थी की वह भी पढ़ लिखकर आईएएस अधिकारी बनेगी और फिर इन सबके स्टैंडर्ड की बराबरी करेगी और फिर किसी बड़े घर के लड़के से शादी कर सुनंदा से मिलने जायेगी , और वह दिन रात अपने लक्ष्य को पाने में लग गई थी और वह कामयाब भी हुई और आज वही कलेक्टर बन कर आई थी जहां लोग उसकी गरीबी का मजाक उड़ा रहे थे, और संयोग देखिए की आते ही उसके सामने सुनंदा की फाइल आई थी जिसने उसे सरकार से पंद्रह करोड़ लेने थे और जो उसके साइन के बिना नही हो सकता था , अगर उसने एक भी रिमार्क डाल दिया तो ,उसे एक रुपिया नही मिलेगी और फिर वह भागती रहे कुछ नही होगा , ऐसी फाइल पास कराने के लिए लोग पच्चीस तीस परसेंट तक देने के लिए तैयार रहते थे,*"!!
वह बैठे बैठे थक गई थी तो वह फाइल रख कर बाहर निकलती है तो चपरासी के साथ एक मोटी सी महिला को बात करते देखती है ,वह महिला उसे कुछ जानी पहचानी लगती है ,जब तक वह समझती वह महिला जा चुकी थी ,वह चपरासी को बुलाती है और पूछती है ,*" किस से बात कर रहे थे , *"!!??
वह घबराते हुए कहता है ,*" मैडम उसका नाम सुनंदा है ,बेचारी का एक फाइल कई दिनों से अटका है ,पिछले कलेक्टर तो इस से पंद्रह लाख रुपए लेकर उसका काम करने से पहले ट्रांसफर हो गए ,उसी के लिए आई थी पर केबिन के बाहर आपका नाम देख और डोर से आपको देख लौट गई , मुझसे पूछ रही थी की ये मैडम कब आई तो कहने लगी मेरी गलती है ,सर ने मुझे पिछले हफ्ते बुलाया था और मैं बाहर चली गई और इसी बीच उनका ट्रांसफर हो गया ,बोलने लगी अब उसका काम नही होगा वह बरबाद हो जायेगी , !!
अंतिम शब्द सुन मोहिनी चौकती है ,बरबाद हो जायेगी मतलब उसे समझ नही आया क्योंकि उसका पति जीवन तो अरबों पति था ,उसे दस पंद्रह करोड़ रूपए से कुछ भी फर्क नही पड़ता था ,*"!!
रात को करीब आठ बजे सुनंदा के दरवाजे का बेल बजता है ,तो वह खोलती है तो सामने देख चौक उठती है उसके सामने मोहिनी खड़ी थी वह समझ गई की यह उसका बदला चुकाने आई है ,!!
मोहिनी कहती हैं*" अंदर भी नही आने दोगी बाहर से ही भागा दोगी वैसे तुम इतनी मोटी कैसे हो गई,*"!!
सुनंदा कहती है ,*" आजाओं ,मुझे तुम्हारे आने की उम्मीद नही थी और ये सब तुम्हारी बद्दुआओं का असर है ,सुंदरता गई ,वैभव गया और अब शायद ये वैभव भी चला जायेगा फिर मैं भी पुरानी मोहिनी की तरह हो जाऊंगी ,*"!!
मोहिनी कहती है *" मैने तो तुम्हे कभी बददुआ नही दिया उल्टे दुआं देती हूं की आज मैं जो भी हूं तुम्हारी बदौलत हूं ना तुम मुझे झटका देती और ना मैं कलेक्टर बनती , वैसे जीवन कहां है*"!!
सुनंदा कहती है *" तु बहुत नसीब वाली थी जो बच गई और मैं अपने जलन के चक्कर में फस गई , वह एक नंबर का आवारा , नशेड़ी और कमीना लड़का था उसका दिखाने का दांत अलग और खाने का अलग था ,, और फिर मेरे पापा भी हार्ट अटैक से चल बसे उसके बाद तो मुसीबतों ने अपना दोस्त बना लिया ,घर बार सब छूट गया भाईयो ने यह फ्लैट और कुछ रुपए देकर मुझसे किनारा कर लिया , अब कुछ सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मेरे पास थे जो पापा दिलवा गए थे वही काम चल रहा था ये तीन महीने से बिल अटका पड़ा था मुझे लगा अब तो तुम पास करोगी नही तो इसलिए तुम्हे देख कर ही वापस आ गई , पहले तो बहुत खुश हुई थी सोचा मिल लूं फिर अपनी हरकत की वजह से हिम्मत नही जुटा पाई ,*"!!
मोहिनी कहती है ,*" अबे तु ऐसे बतियाती ही रहेगी की कुछ खिलाएगी पिलाएगी भी ,*"!!
सुनंदा उसे देखती है फिर उस से लिपट कर
रोने लगती है, मोहिनी उसके सर पर हाथ फेरती है उसके आंखो के आंसु बता रहे थे की उसके मन में उसके प्रति कोई बैर भाव नही था ,*"!!
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