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"घर का भेदी"

1 नवम्बर 2021

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"घर का भेदी"-चौपाई छंद"

नाम विभीषण वही कहाये।दुश्मन से जो जा मिल जाये।
घर का भेदी लंका ढाये।यही कहावत चलती आये।
भारत में यह हर घर पाये।पर नाम ये न कोइ रखाये।
चाहे कोइ धर्म अड़ जाये।भाई भाई ना लड़ जाये।
करोगे काम जयचन्दों का।दाग लगेगा बदनामी का।
जयचन्द ने देश को तोड़ा।लालच में मां को ना छोड़ा।


प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
01/11/2021

चौपाई छंद-प्रत्येक चरण 16-16 मात्राएं।


प्रान्जलि काव्य

प्रान्जलि काव्य

अच्छी रचना

3 नवम्बर 2021

brajmohan panday

brajmohan panday

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है आपकी रचना, बहुत अच्छी लगी मुझे,,, बधाइयाँ और बहुत बहुत शुभकामनायें भी, आदरणीया.आपको यहाँ देख बड़ी खुशी हुई.धन्यवाद.

2 नवम्बर 2021

Purnima

Purnima

7 नवम्बर 2021

बहुत धन्यवाद सर🙏🙏🙏

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रचनाएँ
"कुछ कहना है"
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मन की बातें जो मन में यकायक आ जातीं और विचारों के प्रवाह में शब्द ढल जाते हैं। कविता रूप में और कोई मुद्दा समस्या, भाव एक रूप लेकर साक्षात हो जाते हैं।

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