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हिन्दी दिवस

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 *हिंदी* हिंदी भारत की शान है हम सबका अभिमान है संस्कृत से उद्भव हुई पालि प्राकृत अपभ्रंश से स्वरूप अपना पाईकबीर, मलिक, सूर, तुलसी मीरा, रसखान की वाणीभक्ति रस डूबे न

हिंदी दिवसये एक ऐसा संस्मरण है जो मेरे दिल पर  अमिट छाप छोड़ गया।  जब कोरोना का प्रकोप पूरे जोरों था, हमारे घर काम करने वाली बाई शीला के पति की कोरोना की वजह से मृत्यु हो गई। अकेली शीला कमान

हिंदी हमारी भाषा प्यारीजन-जन की ज़ुबान हैगर्व है इस पर हमकोहोता बहुत अभिमान है‌।हिंदी हमारी भाषा प्यारीजन-जन की ज़ुबान है,,,,सरकारी सारे राजकाज ,होते हैं इस भाषा में,हर कोई जाने समझेऐसी यह ज़ुबान है‌ह

हमने बना दिया कैसे हिंदी को मेहमान ,घरवालों को दें क्या एक दिनी सम्मान ।हिंदी बिना हम गूंगे बहरे भाषा ही शान, हो सके तो रोज ही दें अपनों को मान । बाहर जा विदेश में गर्व से ही हिंदी बोलें,&nb

आज की पीढी तो बस अंग्रेज हो चुकी है । सच कहें तो इसमें उनका दोष भी नहीं है । आज का प्रत्येक माता-पिता बच्चे के गुड मार्निग बोलने पर फूल कर कुप्पा हो जाते हैं । जब वही बड़े में शटअप बोलते हैं तब न

हिंदी तु भाग्यशालीजन-जन की परिभाषामुख वाचाल क्यानेताओं को भी तुमसे आशासंस्कृत वृहद रूपजिसे जनमानस ने अपनायासमस्त भाषाओं को समेट अपने मेंएक नया रूप दिखलायाक्या शास्त्र क्या उपन्यासतेरी सेवा में किये कव

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। क्योंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में ज्यादात

वह थी नन्ही सी लड़कीवह थी नन्ही सी लड़की मा-बाबा ने उसे बहुत प्यार किया खुब शरारती, खुब नटखट जिसके पास जाती अपना बन जाती हुई वह पाँच वर्ष की जाने लगी वह स्कूल में कुछ नहीं था तकलीफ जीवन में 

मैं क्यों एक दिन का उत्सव मनाऊँ,मैं तो रोज हिन्दी दिवस मनाता हूँ,मैं रोज हिन्दी में बोलता हूँ,और रोज हिन्दी का उत्सव मनाता हूँ।मैं रोज हिन्दी में सोचता हूँ,हिन्दी में लिखता हूँ,हिन्दी में पढ़ता हूँ,और

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