वह थी नन्ही सी लड़कीवह थी नन्ही सी लड़की मा-बाबा ने उसे बहुत प्यार किया खुब शरारती, खुब नटखट जिसके पास जाती अपना बन जाती हुई वह पाँच वर्ष की जाने लगी वह स्कूल में कुछ नहीं था तकलीफ जीवन में
मैं क्यों एक दिन का उत्सव मनाऊँ,मैं तो रोज हिन्दी दिवस मनाता हूँ,मैं रोज हिन्दी में बोलता हूँ,और रोज हिन्दी का उत्सव मनाता हूँ।मैं रोज हिन्दी में सोचता हूँ,हिन्दी में लिखता हूँ,हिन्दी में पढ़ता हूँ,और