शिक्षक वो है जो दीप जलाए, अंधकार में राह दिखाए। ज्ञान की ज्योत जलाए हर दिन, बनता है जीवन का सुनहरा किनारा वहीं। शिक्षक वो नही जो बस पढ़ाए, वो है जो हमें सच्ची राह बताए। सपनों को
शिक्षक वो है जो दीप जलाए, अंधकार में राह दिखाए। ज्ञान की ज्योत जलाए हर दिन, बनाता है जीवन का किनारा सुनहरा वहीं। शिक्षक वो नही जो बस पढ़ाए, वो है जो हमें सच्ची राह बताए। सपनों को
शिक्षक वो है जो दीप जलाए, अंधकार में राह दिखाए। ज्ञान की ज्योत जलाए हर दिन, बनाता है जीवन का किनारा सुनहरा वहीं। शिक्षक वो नही जो बस पढ़ाए, वो है जो हमें सच्ची राह बताए। सपनों को
वो जलता रहा वो जलता रहा जहाँ जहाँ गया वो जलता रहा कई आए दाग लगाने वाले न उस पर कोई दाग लगा पग पग वो चलता रहा वो जलता रहा वो जलता रहा। एक कारवां चल पड़ा था जब छट गए बादल नभ से हाथ मशाल
"उलझन, परेशानी, समस्या से ग्रसित सदा ही मन होगा, ज्ञानशून्य धरती सारी और ज्ञानशून्य गगन होगा, शिक्षक से ही तो मुमकिन है; तेज शिक्षा का, प्रगति का, बिन शिक्षक तो अंधकारमय; जग होगा, जीवन होगा" ओम
अखंड मंडलाकारं व्याप्तम येन चराचरम।तत्पादं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।।इस श्लोक का भावार्थ इस प्रकार है। ब्रह्मांड में अखंड स्वरूप उस प्रभु के तत्व रूप को मेरा नमन है जो मेरे सामने प्रकट होता है
शिक्षक दिवस भारत में 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद्, दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। उनके छात्रों ने जब उनके
गुरु ही है जो ,दूर कर विकार,दे सके आकार ,फूंककर ज्ञान ,बना सके महान।
हमको जिसने लिखा हमको जिसने लिखने योग्य बनाया हम उसके विषय हम क्या लिख सकते हैं।कभी कभी जीवन में हम अपनी मांगी मुरादे पूरी होते देख यह सोचते हैं कि शायद भगवान को भी यही मंजूर है।लेकिन हम यह भूल जाते है
गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।आप सभी को शिक्षक दिवस की ढेरों शुभकामनाएं🙏💐भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।