अपने हृदय के द्वीप जला लो
अन्दर का तम दूर भगा लो।
भय अशान्ति भरे जीवन में,
प्रेम शान्ति का पथ अपना लो ।
जग उजियारा हो जाएगा,
अपने मन को तुम चमका लो।
मै और मेरा का भ्रम छोंडो ,
वसुधैव कुटुम्बकम घर बना लो।
प्यार सजाता है गुलशन को,
और नफरत वीरान करे।
नफरत की दीवार गिराकर,
नवल प्रीति नव ज्योति जगा लो।
मार काट घृणा को तजकर
दया क्षमा करुणा बरसा लो।
फूलों सा महकेगा जीवन,
अपने अधरों के कुसुम खिला लो।
सुरेश कुमार 'राजा'