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राखी पर्व

6 अगस्त 2017

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फूलों सी ख़ुश्बू पत्तों सी, रंगत भर लाई

सावन राखी ले बहिना ,भैया के घर आई

बिखर गया आलोक ,अँधेरा गम का दूर भगा

बरसों पुराना घरभी सबको,फिर से नया लगा

नेह के दो धागों में स्वर्ग का वैभव हर लाई

सावन राखी ले बहिना ,भैया के घर आई

सावन राखी ले बहिना भैया के घर आई

बचपन आया आज बारातें लेकर यादों की

वो रिमझिम सी सुखद फुहारें वर्षा भादों की

पवन झूमकर उस युग की ज्योंख़ैर खबर लाई

सावन राखी ले बहिना ,भैया केघरआई

चाहत की गहराई न शब्दों से मापी जाती

प्रेम भरे मन की वाणी भी थाह नहीं पाती

राखी खुशियों की मंजिल की नई डगर लाई

सावन राखी ले बहिना ,भैया के घरआई

-सतीश शर्मा

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बहुत सुंदर सतीश जी। सचमुच बहन भाई से बढ़कर कोई और संबंध हो ही नही सकता।

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