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रंग बदलता मानव

20 अगस्त 2022

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जिंदगी इक जंग है
इस सोच से आश्वस्त हूँ
जिंदगी के मंच पर मैं
खुद से ही परास्त हूँ
विश्वास कर लेना किसी पर 
सहज आदत है हमारी
बस इसी आदत के कारन
पा रहा शिकस्त हूँ
हट गए गिरगिट भी पीछे
मानवों से सर झुकाकर
रंग बदलने की कला में 
मानवों से पस्त हूँ

 रचनाकार 
विवेक कुमार शुक्ल ' विश्वास'

विवेक कुमार शुक्ल विश्वास की अन्य किताबें

1

रंग बदलता मानव

20 अगस्त 2022
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जिंदगी इक जंग हैइस सोच से आश्वस्त हूँजिंदगी के मंच पर मैंखुद से ही परास्त हूँविश्वास कर लेना किसी पर सहज आदत है हमारीबस इसी आदत के कारनपा रहा शिकस्त हूँहट गए गिरगिट भी पीछेमानवों से सर झुकाकररंग

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हरितालिका तीज

30 अगस्त 2022
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सभी माताओं बहनों को हरितालिका तीज की ढेर सारी शुभकामनाएं जगतमाता लक्ष्मी एवम परमपिता परमेश्वर सबको अखंड सौभाग्यवती बनाये रखेंये माथे की बेंदी ये आंखों का काजलये हांथों की चूड़ी ये पैरों में पायलकितने भ

3

अरमानों के दीप जलाये रखना

30 अगस्त 2022
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सभी माताओं बहनों को हरितालिका तीज की ढेर सारी शुभकामनाएं जगतमाता लक्ष्मी एवम परमपिता परमेश्वर सबको अखंड सौभाग्यवती बनाये रखेंये माथे की बेंदी ये आंखों का काजलये हांथों की चूड़ी ये पैरों में पायलकितने भ

4

लड़के रोया नहीं करते

30 अगस्त 2022
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लड़के रोया नहीं करते,कितने भी आँशु आये,पर दफन किये दिल के अंदर,जज्बातों का इक लिए भंवर,उठते गिरते लहरों की तरह,सबकी इक्षाओं को सहते | साहबलड़के रोया नहीं करते ||कभी पत्नी की आशाओं पर,कभी माँ की पस

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