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रंग

29 जुलाई 2015

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कैसे रंग लेते है लोग खुद को के असली रंग दीखता ही नहीं, और किस रंग से रंगी है मेरी फितरत के कोई और रंग चढ़ता ही नहीं
अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

वाह वाह ......बहुत खूब ..मज़ा आ गया पड़कर .... २ लाइन और कितना विस्तार यही तो है शब्दों की रफ़्तार ...

2 सितम्बर 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

'शब्दनगरी' में आपका स्वागत है ! आपकी प्रथम रचना प्रकाशन हेतु बधाई !

29 जुलाई 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

सुन्दर रचना ! बधाई !

29 जुलाई 2015

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