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RANI LUXMI BAI - #त्रिɓհմϖαη

Tribhuvan Gautam

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रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी मे 19 नवम्बर 1835 को हुआ।इनके पिता मोरोपंत ताम्बे चिकनाजी के आश्रित थे।इनके माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मनु बाई था,मनु की उम्र मात्र 4 साल ही थी जब उनकी माताजी का निधन हो गया था और इसके बाद मोरोपंत जी मनु को लेकर झाँसी चले आए।रानी लक्ष्मीबाई का बचपन उनके नाना के यहाँ बीता जहाँ वो "छबीली" कहकर पुकारी जातीं थी । मनु के पितामह बलवंत राव के बाजीराव पेशवा कि सेना मे सेनानायक होने के कारण मोरोपंत पर भी पेशवा की कृपा रहने लगी।जब उनकी उम्र 12 साल की थी तभी तभी उनकी शादी कर दी गई थी। मनु बाई का विवाह 1850 मे झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुआ और 1851 मे ही उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई,इनके साथ साथ इनकी प्रजा भी खुश थी अपनी उतराधिकारी को देखकर। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था उनका ये पुत्र 4 महीने बाद ही किसी कारण से निधन हो जाता है। सारी झाँसी उनके इस दुःख मे शामिल हुआ।राजा गंगाधर राव को इस दुःख का इतना धक्का लगा की वो एक बार बीमार हुए तो दोबारा स्वस्थ ही नहीं हो पाये और 21 नवम्बर 1853 को वो भी चल बसे। उनकी मृत्यु से रानी मनु को असहनीय पीड़ा हुई लेकिन किसी तरह से उन्होंने अपने आपको सम्हाल ही लिया और अपनी प्रजा के बारे मे सोचा और बिना घबराहट और विवेक से नहीं खोया। इधर राजा गंगाधर राव अपनी मृत्यु से पहले ही अपने ही परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर गोद ले चुके थे और उन्होंने इसकी सूचना ब्रिटिश सरकार को भी दे दी थी। लेकिन ईस्ट इण्डिया कंपनी की सरकार ने दत्तक पुत्र को अस्वीकार कर दिया । 27 फरवरी 1854 को लार्ड डलहौजी ने गोद की निति के अंतर्गत दत्तक पुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकार कर दी और झाँसी को ब्रिटिश राज्य मे मिलाने की घोषणा कर दी। उनकी इस घोषणा की सूचना पाते ही रानी मनु के मुख से एक ही आवाज़ निकली.... " मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी" । 7 मार्च 1854 को झाँसी पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया। रानी मनु ने ब्रिटिश सरकार की तरफ से मिलने वाली पेंशन लेने से साफ मना कर दिया और नगर के राजमहल मे निवास करने लगी। 

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