सर्दी की हो गई विदाई देखो वसंत ऋतु है आई खेतों में सरसों लहलाई पीले फूलों की बहार है छाई।अब मौसम ने ली अंगड़ाई धूप में भी गर्माहट है आई आमों में आई है अमराई चारों तरफ हैं
ताल-तलैया खिलें कमल-कमलिनीमुदित मन किलोल करें हंस-हंसिनी!कुसुम-कुसुम मधुलोभी मधुकर मँडराए,सुमनों से सजे सृष्टि,जब शरद आए!!!गेंदा-गुलाब फूलें, चंपा-चमेली,मस्त पवन वृक्षों संग,करती अठखेली!वनदेवी रूप नए, क्षण-क्षण दिखलाए,सुमनों से सजे सृष्
मापनी- 22 22 22 22, समान्त- अत, पदांत- की"गीतिका"उग आई ऋतु है चाहत कीमत लाना दिल में शामत कीदेखो कितनी सुंदर गलियाँ खुश्बू देती हैं राहत की।। जब कोई लगता दीवाना तब मन होता है बसाहत की।।दो दिल का मिलना खेल नहींपढ़ना लिखना है कहावत की।।माना की दिल तो मजनू हैपर मत चल डगर गुनाहत की।।देखो कलियाँ चंचल ह