ताल-तलैया खिलें कमल-कमलिनी
मुदित मन किलोल करें हंस-हंसिनी!
कुसुम-कुसुम मधुलोभी मधुकर मँडराए,
सुमनों से सजे सृष्टि,जब शरद आए!!!
गेंदा-गुलाब फूलें, चंपा-चमेली,
मस्त पवन वृक्षों संग,करती अठखेली!
वनदेवी रूप नए, क्षण-क्षण दिखलाए,
सुमनों से सजे सृष्टि,जब शरद आए!!!
परदेसी पाखी आए, पाहुन बनकर,
वन-तड़ाग,बाग-बाग, पंछियों के घर!
मुखरित, गुंजित, मोहित,वृक्ष औ' लताएँ,
सुमनों से सजे सृष्टि, जब शरद आए!!!
लौट गईं नीड़ों को, बक-पंक्ति शुभ्र,
छिटकी नभ में, धवल चाँदनी निरभ्र!
रजनी के वसन जड़ीं हीरक कणिकाएँ,
सुमनों से सजे सृष्टि, जब शरद आए!!!