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रोज ही आलू

रोज ही आलू

Poonam pingale

0 भाग
6 लोगों ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
25 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

रोज अलग व्हारायटी की सब्जी थोडा हसीए!!🤣🤣 ©पूनम पिंगळे सुजाता को रोज खाना बनाना अच्छा नही लगता था .. एक नंबर की कामचोर थी वह..वो रोज अपने बेटे को आलू की सब्जी बनाकर देती थी ..बेचारा ऋषि बाकी बच्चो की अलग अलग सब्जियां देखकर ललचा जाता था.. वो खुदका टिफिन उन्हें देकर .. उनका टिफिन खा लेता था .. लेकिन अब वो बच्चे भी इसकी आलू की सब्जी खाकर परेशान हो गये थे ... उसकी ये हालत देखकर .. ऋषी की दोस्त लता अपनी माँ को बताती है ... लता : माँ वो ऋषी की माँ देखो ना उसको रोज सिर्फ आलूकी सब्जी देती है टिफिन में .. बेचारा अब ऊब गया है .. आप कभी उनसे मिलो तो .. बताओ न उन्हें रोज अलग अलग सब्जी दिया करे उसे ... लता की माँ सुमन और सुजाता दोनो अच्छे दोस्त थे .. पर उसे ये बात पता नही थी .. यह जानकर उसे ऋषि के लिए बहुत बुरा लगा ... दुसरेही दिन वह सुजाताके पास गई बातो बातोंमें सुमन बोली ... सुमन : अरी सुजाता तुम ऋषि को टिफिन में रोजही आलू की सब्जी देती हो ... बेचारा अब टिफिन खा भी नही पा रहा ... उसको अब आलू से घृणा आने लगी है ... बेचारा सब बच्चोके टिफिन से थोड़ा थोड़ा खाता है ... तुम्हारे आलू से परेशान हो गया है अब वो ... उसे अलग अलग सब्जियां दिया करो यार ... सुजाता : क्या बोल रही हो ? किसने कहा तुम्हे ये ... अरे मैं तो उसे रोज अलग अलग व्हरायटीकी सब्जिया देती हूं... ये तो उसके नखरे है बस .. मतलब देखो हा उबला हुआ आलू, लाल मिर्च वाला आलू, हरी मिर्च वाला आलू, पिला हल्दीवाला आलू, कभी ग्रेवी वाला आलू, कभी सुका वाला आलू, कभी आलू प्याज के साथ.. कभी सेंगदाना वाला आलू..... अब तुम ही देखो कितने प्रकार की सब्जियां हो गयी !!! और क्या व्हारायटी चाहिये उसे? सुजाता को पहली बार आलू की सब्जी के इतने नाम पता चले थे .... ये सब सुनकर उसने अपनेही सरपर हाथ मारा ... मन ही मन इसका कुछ नही हो सकता सोचकर वह घर चली गयी ... 😂😂 समाप्त ...  

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रोज अलग व्हारायटी की सब्जी थोडा हसीए!!🤣🤣 ©पूनम पिंगळे सुजाता को रोज खाना बनाना अच्छा नही लगता था .. एक नंबर की कामचोर थी वह..वो रोज अपने बेटे को आलू की सब्जी बनाकर देती थी ..बेचारा ऋषि बाकी बच्चो की अलग अलग सब्जियां देखकर ललचा जाता था.. वो खुदका टिफिन उन्हें देकर .. उनका टिफिन खा लेता था .. लेकिन अब वो बच्चे भी इसकी आलू की सब्जी खाकर परेशान हो गये थे ... उसकी ये हालत देखकर .. ऋषी की दोस्त लता अपनी माँ को बताती है ... लता : माँ वो ऋषी की माँ देखो ना उसको रोज सिर्फ आलूकी सब्जी देती है टिफिन में .. बेचारा अब ऊब गया है .. आप कभी उनसे मिलो तो .. बताओ न उन्हें रोज अलग अलग सब्जी दिया करे उसे ... लता की माँ सुमन और सुजाता दोनो अच्छे दोस्त थे .. पर उसे ये बात पता नही थी .. यह जानकर उसे ऋषि के लिए बहुत बुरा लगा ... दुसरेही दिन वह सुजाताके पास गई बातो बातोंमें सुमन बोली ... सुमन : अरी सुजाता तुम ऋषि को टिफिन में रोजही आलू की सब्जी देती हो ... बेचारा अब टिफिन खा भी नही पा रहा ... उसको अब आलू से घृणा आने लगी है ... बेचारा सब बच्चोके टिफिन से थोड़ा थोड़ा खाता है ... तुम्हारे आलू से परेशान हो गया है अब वो ... उसे अलग अलग सब्जियां दिया करो यार ... सुजाता : क्या बोल रही हो ? किसने कहा तुम्हे ये ... अरे मैं तो उसे रोज अलग अलग व्हरायटीकी सब्जिया देती हूं... ये तो उसके नखरे है बस .. मतलब देखो हा उबला हुआ आलू, लाल मिर्च वाला आलू, हरी मिर्च वाला आलू, पिला हल्दीवाला आलू, कभी ग्रेवी वाला आलू, कभी सुका वाला आलू, कभी आलू प्याज के साथ.. कभी सेंगदाना वाला आलू..... अब तुम ही देखो कितने प्रकार की सब्जियां हो गयी !!! और क्या व्हारायटी चाहिये उसे? सुजाता को पहली बार आलू की सब्जी के इतने नाम पता चले थे .... ये सब सुनकर उसने अपनेही सरपर हाथ मारा ... मन ही मन इसका कुछ नही हो सकता सोचकर वह घर चली गयी ... 😂😂 समाप्त ...

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रोज ही आलू बड़ी ही रोचक कहानी है जो मध्यम वर्गीय परिवारों की दशा प्रदर्शित करती है। एक मां कैसे अपने बच्चे को स्कूल के टिफिन में रोज आलू की सब्जी बनाकर देती है, जिसके कारण बच्चा आलू खा-खाकर परेशान सा हो जाता है। आलू की सब्जी देखकर उसके स्कूल के सहपाठी भी यह बात जान चुके थे कि इसके टिफिन से तो आलू ही निकलेंगे। उसकी एक सहपाठी की मां जो उस बच्चे की मां की भी दोस्त है, जब उसे पता चलता है कि उसकी सहेली अपने बेटे को रोज ही आलू खाने को देती है, तो वह अपनी सहेली को कुछ अलग बनाने की सलाह देती है, उसके जवाब में वह क्या कहती हैं, जानने के लिए पढ़ें, रोज ही आलू कहानी

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