मैंने इस पुस्तक में बहुत सी कहानियों एवं घटनाओं का प्रयोग किया है, जो मैंने कहीं किसी से सुनी या कहीं पढ़ी हैं। पूरी पुस्तक में जो कुछ आपने पढ़ा, वह किसी ने कहीं लिखा या कहा ही होगा। इसलिए, मैं यह दावा नहीं करता कि ये विचार मेरे हैं या मैंने इनका आविष्कार किया है। मैं उन तमाम चिंतकों, लेखकों, वक्ताओं को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने अपनी पुस्तकों, सेमनारों तथा सी.डी. के माध्यम से अपना विवेक साझा करने का मुझे अवसर दिया, जिसकी सहायता से मैं यह पुस्तक आपके लिए पूरी कर सका। यदि कोई भी पंक्ति या वक्तव्य के नीचे मेरा नाम है और वास्तव में यह उक्ति उनकी है तो पूरे विनय से अपनी भूल में सुधार करना चाहूँगा। विश्वास कीजिए, यदि ऐसा हुआ है तो अनजाने में ही हुआ है। यह पुस्तक मैंने लिखी नहीं है, बल्कि संकलन किया है।. Read more