ऋतु डॉक्टर नहीं बन पाई क्योंकि रिसर्च गाइड प्राध्यापक प्रवर पी.के. पांडेय की दृष्टि में ऋतु ने ईसुरी पर जो कुछ लिखा था, वह न शास्त्र-सम्मत था, न शोध-अनुसन्धान की ज़रूरतें पूरी करता था। वह शुद्ध बकवास था क्योंकि ‘लोक’ था। ‘लोक’ में भी कोई एक गाइड न
‘पन्द्रह पाँच पचहत्तर' की कविताएँ पंद्रह खंडों में विभाजित हैं और हर खंड में पाँच कविताएँ हैं। गुलज़ार का यह पहला संग्रह है, जिसमें मानवीयकरण का इतना व्यापक प्रयोग किया गया है। यहाँ हर चीज बोलती है-आसमान की कनपट्टियाँ पकने लगती हैं, काल माई खुदा को न
प्रस्तुत ’राह के फूल‘ श्रृंखला पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है; यह ’टाइम्स ऑफ इंडिया‘ के स्तंभ ’स्पीकिंग ट्री‘ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित सद्गुरु द्वारा मुखरित आलेखों का संग्रह है। वर्षों से, इन रचनाओं ने एकरसता और अशान्ति में घिसरते जन समुदाय के जीव
लोकतंत्र चाहिए या फिर भीड़तंत्र - फ़ैसला करें! असग़र वजाहत हिन्दी के अकेले कथाकार हैं जो कहानी में व्यंग्य, विद्रूप और करुणा एक साथ उत्पन्न करते हैं। उर्दू में मंटो को इसका जादूगर माना है लेकिन आज के लोकतंत्र को इस नज़र से देखने का हुनर शायद अकेले अस
साहस और बेबाकबयानी के कारण मन्नू भंडारी ने हिन्दी कथा-जगत् में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। नैतिक-अनैतिक से परे यथार्थ को निर्द्वन्द्व निगाहों से देखना उनके कथ्य और उनकी कहन को हमेशा नया और आधुनिक बनाता है। मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच
पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने रहते हैं।
प्रतिष्ठित कथाकार असगर वजाहत की उपन्यास-त्रयी का अन्तिम भाग 'धरा अँकुराई' एक बहुआयामी कथानक को जीवन की सच्चाइयों तक पहुँचाता है। ‘कैसी आगी लगाई’ और ‘बरखा रचाई’ शीर्षक से त्रयी के दो भाग पूर्व में प्रकाशित होकर पर्याप्त प्रशंसा प्राप्त कर चुके हैं। अन
उपन्यास का महत्त्व दरअसल आजकल भी इसलिए बना हुआ है कि उपन्यास एक समानान्तर जीवन की परिकल्पना करते हैं। इस सन्दर्भ में असग़र वजाहत के उपन्यास ‘कैसी आगी लगाई’ में जीवन की विशद व्याख्या है, जीवन का विस्तार है और तमाम अन्तर्विरोधों के बीच से मानव-गरिमा और
पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने हुए हैं।
सभी तरह की साहित्यिक विधाओं में नाटक को सबसे रमणीय कहा गया है क्योंकि यही एक विधा है जिसमें संगीत, कविता, अभिनय और कथा का रस एक साथ मिलता है। नुक्कड़ नाटक इस से भी और अधिक जनधर्मी रास्ता है जो साहित्य व कला को सीधे जनता तक पहुँचाता है। असग़र वजाहत ऐस
असग़र वजाहत हिन्दी कहानीकारों की भीड़ में शामिल एक दो पाया नहीं, बल्कि एक मुक़म्मल शख़्सियत है। कहानी, उपन्यास, नाटक, सिनेमा, पेंटिंग तक अपने पंख फैलाये वह सिर्फ़ इंसानी फ़ितरत की बात सोचता है और उसे रचना में रूपांतरित करता रहता है। असग़र की इसी रचना
दो दोस्त, जो ढूँढ़ने चले हैं कि कविता आख़िर कहाँ से आती है। एक छोटे शहर की सुपर मॉम, जो रोज़ टीवी पर आने का सपना देखती है। भोपाल की वो लड़की, जो अब भी अपने मुंबई के पेन फ़्रेंड को हाथ से लिखी चिट्ठियाँ भेजती है। एक मॉडल, जिसका एक गाना हिट होने के बाद
काव्य कलश राम के मनके । रामजी दौदेरिया द्बारा रचित एक काव्य संग्रह है। इसमें 55 अद्भुत सुंदर देश भक्ति समाज प्रेम पर आधारित कविताएं संग्रहित है ।
प्रकाश मनु की 21 श्रेष्ठ कहानियों का यह संग्रह, निः संदेह हिंदी साहित्य के लेखकों और पाठको को बहुत कुछ अपना - सा और आत्मीय लगेगा |
परोपकारी, उद्यमी, कंप्यूटर वैज्ञानिक, इंजीनियर, टीचर—सिर पर ऐसे कई ताज सजाए सुधा मूर्ति इन सबसे कहीं अधिक एक असाधारण कहानीकार हैं। साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण अवार्ड’, ‘पद्मश्री’, कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार का ‘अत्तिमब्बे पु
साहित्य में ‘मंजरनामा’ एक मुक्कमिल फार्म है | यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रूकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें| लेकिन मंजरनामा का अंदाजे-बयाँ अमूमन मूल राचन से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इंटरप्रेटेशन हो जाता है |
प्रतिभा राय की गिनती भारत के अग्रणी लेखकों में होती है। अभी तक इनके सत्रह उपन्यास, आठ यात्रा-वृत्तांत और तीन सौ से अधिक कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। लिखती यह अपनी मातृभाषा उड़िया में हैं, लेकिन इनकी कृतियाँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुई
Mahilayen Bulandi Ki Aur Read more
Mandir Wahi Banayenge Magar Kyon Read more