5 सितम्बर 2020
धरतीचाँद तारे हवा बादल वर्षा सब ठंडक देते हैं।तालाब कुआँ नल नहर नदी सब प्यास बुझाते है।तपता सूरज दिन दिनभर सबको ताकत देता है।है कितनी प्यारी धरती माँ सबका बोझ उठती है।घेर समुन्दर चारों ओर धरती की प्यास बुझाते। ओढ़ नीला चादर धरती सबकी छत्रछाया बनी।