अख़बार के तीसरे पन्ने पे हर रोज जब देखता हूँ मरने वालों की तस्वीरें,
कुछ देर ढूंढता रहता हूँ मेरी भी तस्वीर है क्या ?
बेहिस हुआ हूँ अब एहसास नहीं होता, साँस आती है , जाती है, चलती भी है की नहीं.
अख़बार के पहले पन्ने पे बस तादाद ही देखता हूँ , गिनती ही करता हूँ .
आज का स्कोर क्या है?
बेहिस हुआ हूँ अब एहसास नहीं होता, साँस आती है , जाती है ,चलती भी है की नहीं.