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साँस या बेसाँस

7 जनवरी 2016

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अख़बार के तीसरे पन्ने पे हर रोज जब देखता हूँ मरने वालों की तस्वीरें,

कुछ देर ढूंढता रहता हूँ मेरी भी तस्वीर है क्या ?

बेहिस हुआ हूँ अब एहसास नहीं होता, साँस आती है , जाती है, चलती भी है की नहीं. 
अख़बार के पहले पन्ने पे बस तादाद ही देखता हूँ , गिनती ही करता हूँ .
आज का स्कोर क्या है?
बेहिस हुआ हूँ अब एहसास नहीं होता, साँस आती है , जाती है ,चलती भी है की नहीं.

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बेहतरीन नज़्म !

8 जनवरी 2016

मदन पाण्डेय 'शिखर'

मदन पाण्डेय 'शिखर'

कोई नहीं बताता कि - यह हिसाब क्या है ज़िन्दगी छिपाती है आंखिर ये राज क्या है... सुन्दर अभिव्यक्ति.....

8 जनवरी 2016

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