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नवगीत: संसद की दीवार पर

10 अगस्त 2015

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featured imageसंजीव * संसद की दीवार पर दलबन्दी की धूल राजनीति की पौध पर अहंकार के शूल * राष्ट्रीय सरकार की है सचमुच दरकार स्वार्थ नदी में लोभ की नाव बिना पतवार हिचकोले कहती विवश नाव दूर है कूल लोकतंत्र की हिलाते हाय! पहरुए चूल * गोली खा, सिर कटाकर तोड़े थे कानून क्या सोचा था लोक का तंत्र करेगा खून? जनप्रतिनिधि करते रहें रोज भूल पर भूल जनगण का हित भुलाकर दे भेदों को तूल * छुरा पीठ में भोंकने चीन लगाये घात पाक न सुधरा आज तक पाकर अनगिन मात जनहित-फूल कुचल रही अफसरशाही फूल न्याय आँख पट्टी, रहे ज्यों चमगादड़ झूल * जनहित के जंगल रहे जनप्रतिनिधि ही काट देश लूट उद्योगपति खड़ी कर रहे खाट रूल बनाने आये जो तोड़ रहे खुद रूल जैसे अपने वक्ष में शस्त्र रहे निज हूल * भारत माता-तिरंगा हम सबके आराध्य सेवा-उन्नति देश की कहें न क्यों है साध्य? हिंदी का शतदल खिला फेंकें नोंच बबूल शत्रु प्रकृति के साथ मिल कर दें नष्ट समूल *** [प्रयुक्त छंद: दोहा, १३-११ समतुकांती दो पंक्तियाँ, पंक्त्यान्त गुरु-लघु, विषम चरणारंभ जगण निषेध]

संजीव वर्मा सलिल की अन्य किताबें

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रचनाएँ
sanjivsalil
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साहित्य की सभी विधाओं में चिंतनपरक रचनाएँ.
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मुक्तिका: हँसो भी

10 अगस्त 2015
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मुक्तिका संजीव *मापनी: १२२११ -१२२११ -१२११ मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन*करेंगे कुछ न तो कुदरत न दे कुछ किसी की कब नहीं हसरत रही कुछहँसो भी, हँस पड़ो कसरत नहीं यह हमीं हैं खुद खुदा, किस्मत नहीं कुछतजेंगे हम नहीं ये दल न संसद करेंगे नित तमाशे, गम नहीं कुछबनेगे हम नहीं शंकर, न कंकर न सोये हम, न सोओ तुम, जगो क

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नवगीत: संसद की दीवार पर

10 अगस्त 2015
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संजीव *संसद की दीवार पर दलबन्दी की धूल राजनीति की पौध पर अहंकार के शूल *राष्ट्रीय सरकार की है सचमुच दरकार स्वार्थ नदी में लोभ की नाव बिना पतवारहिचकोले कहती विवश नाव दूर है कूल लोकतंत्र की हिलाते हाय! पहरुए चूल *गोली खा, सिर कटाकर तोड़े थे कानून क्या सोचा था लोक का तंत्र करेगा खून?जनप्रतिनिधि करते रहे

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पुस्तक समीक्षा: चीखती टिटहरी हाँफता अलाव, नवगीत संग्रह -डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर

10 अगस्त 2015
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कृति-चर्चा:चीखती टिटहरी हाँफता अलाव : नवगीत का अनूठा रचावसंजीव*[कृति-विवरण: चीखती टिटहरी हाँफता अलाव, नवगीत संग्रह, डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर', आकार डिमाई, आवरण बहुरंगी सजिल्द जैकेट सहित, पृष्ठ १३१, १८०/-, वर्ष २०११, अयन प्रकाशन महरौली नई दिल्ली, नवगीतकार संपर्क: ८६ तिलक नगर, बाई पास मार्ग फीरोज

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