घूरती आखोँ में हँसी
तंज की ठिठोली हैं
अमानत थोड़ी हैं जो किसी की हो ली है
उनकी रुह में भी, छोड़ आया हूँ खुद को
अभी लब्ज बोले हैं, मोहब्बत कहाँ बोली हैं
17 अक्टूबर 2019
घूरती आखोँ में हँसी
तंज की ठिठोली हैं
अमानत थोड़ी हैं जो किसी की हो ली है
उनकी रुह में भी, छोड़ आया हूँ खुद को
अभी लब्ज बोले हैं, मोहब्बत कहाँ बोली हैं