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शिक्षक दिवस

5 सितम्बर 2024

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 शिक्षक दिवस

शिक्षा का अर्थ मनुष्य की दैवीय प्रकृति
को पहचानना है।शिक्षा मनुष्य को सच्चरित्र और संसारोपयोगी बनाती है।शिक्षा आत्मसाक्षात्कार है।शिक्षा नैतिकताहै जो मनुष्य और समाज का सृजन करती है।शिक्षा का उद्देश्य ही
ज्ञान प्राप्ति है।

शिक्षक सकारात्मक परिवर्तन का संवाहक होता है।शिक्षक शिष्य के मस्तिष्क में पहले से स्थित मेधा को विकसित करता है. समृद्ध बनाता है।
आज जब समाज ,राष्ट्र एवं विश्व संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं तो ऐसे में शिक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। शिक्षक का दायित्व ही अपने ज्ञान से शिष्य के गुणों का विकास करना है।

कुछ गुणों को धारण कर शिक्षक अपनी गुरुतर भूमिका को  निभा सकते हैं। शिक्षक को स्वयं आचार्य होना चाहिए
आचार्य वह जो अपने उपदेशों का स्वयं पालन करता है।

योग्य शिक्षक अपने  विषय का जानकार होता है अपने विषय में पारंगत होने के लिए वह सदा  प्रयासरत रहता है । वह अपने विषय में नेतृत्व
प्रदान करता है।विषय की गहराइयों में
उतरता है ।ज्ञानार्जन को तप का रूप
समझता है।

एक अच्छा शिक्षक जीवन भर एक विद्यार्थी की भूमिका में रहता है। विद्यार्थी भाव के आधार पर ही वह हमेशा नवीन ज्ञान का अर्जन करता रहता है अगर शिक्षक में विद्यार्थी भाव नहीं है तो उसे शिक्षक का कार्य भारस्वरूप लगता है ऐसे में वह अपने शिक्षण कार्य के प्रति न्याय नहीं कर पाता है

शिक्षक में संवेदनशीलता एवं बौद्धिक ईमानदारी एक ऐसा गुण हैं जिसके कारण वह अपने पेशे के साथ न्याय कर पाता है और आवश्यक तप, त्याग एवं श्रम करता है। वह शिक्षक के साथ ए़क अभिभावक के रूप में अपनी भावपूर्ण भूमिका निभाता है। 

एक अच्छा शिक्षक पूरी कक्षा को साथ लेकर चलता है सबके साथ एक जैसा व्यवहार करता है। विद्यार्थियों के साथ भेदभाव को वह अपराध समझता है 

योग्य शिक्षक अपने विषय के ज्ञान के साथ समाज, संस्कृति एवं इसके समग्र स्वरूप का भी ज्ञान रखता है ।चारों तरफ घट रही घटनाओं पर दृष्टि रखता है ।वह अपने विषय को जीवन और समाज से जोड़ते हुए प्रगतिशील एवं युग अनुकूल बनाता है। तेजी से परिवर्तित होते हुए जटिल दौर में यह आवश्यक है ।

आज के विज्ञान एवं तकनीकी  प्रधान युग में टेक्नोलॉजी जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है। कंप्यूटर, स्मार्टफोन इंटरनेट,सोशल मीडिया जीवन के अनिवार्य अंग बन चुके हैं ऐसे में इनका उपयोग जाने बिना समय के साथ
तालमेल नहीं बिठाया जा सकता। 
 आज शिक्षक को इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है।
 
योग्य शिक्षक में समाज को देने का भाव प्रबल होता है। एक और वह अपने छात्र छात्राओं को इसके लिए तैयार करता है साथ ही अपने शोध एवं सृजनात्मकता से समाज के पिछड़े जरूरतमंद, वंचित लोगों को विशेष रुप से स्थान देता है 
 योग्य शिक्षक हमेशा जिम्मेदार नागरिक के रूप में सक्रिय रहता है समाज के लिए कुछ किए बिना वह चैन से नहीं बैठ सकता और विद्यार्थियों को भी इसके लिए प्रेरित करता है
 
योग्य  शिक्षक अपने राष्ट्र के प्रति अनुराग भाव से भरा होता है इसकी एकता- अखंडताके लिए सजग, सचेष्ट एवं सक्रिय रहता है। राष्ट्रभक्त होने के साथ-साथ व विश्व नागरिक की भूमिका में भी होता है। राष्ट्र और समाज की सेवा के साथ-साथ वह संस्कृतिदूत और सृजन-सैनिक बनकर अपनी भूमिका विश्व पटल पर निभाता है 

 सच्चा शिक्षक योगी की मनोभूमि में जीता है। जीवन और विषय के समाधान सूत्रों को समाधि की गहराइयों में जाकर प्राप्त करता है और  विभिन्न माध्यमों से इसका वितरण करता है।
 
इन  श्रेष्ठ गुणों के माध्यम से शिक्षा व्यक्ति व समाज निर्माण, राष्ट्र उत्थान वैश्विक कल्याण का माध्यम बनती है। शिक्षक इन गुणों के प्रकाश में अपनी समीक्षा करते हुए इनमें उत्तरोतर 
 वृद्धि के साथ राष्ट्रनिर्माण के कार्य में अपना सार्थक योगदान दे सकते हैं।  शिक्षक दिवस की सार्थकता
इसीमें निहित है।


आनन्द बाला शर्मा

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मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

6 सितम्बर 2024

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