हे भोले नाथ हे शिव हे नीलकंठ तेरी महिमा है अजब निराली ! जाटा से गंगा निकली गले मे सर्पनागधारी , तन बदन भभूती सोभे माला तेरी अजब निराली! तेरी महिमा....... कैलास पर्वत पे इनका है ,डेरा , सर्प फन झुकाबे सुबह और सबेरा सती पार्वती से नेह लगवलन पग पग डाले डेरा , भाई बसहा इनका सबारी ! शिव की महिमा ..... हे शिव ..... शिव की महिमा.... क्रांतिराज बिहारी ०२/०३/२०२२ बुधबार