सोरठा - सोरठा दोहा का उलटा होता है इस छंद में विषम चरण में ११मात्रा सम चरण में १३ मात्राएँ होती हैं तुकांत विषम चरण पर निर्धारित होता है सम चरण मुक्त होता है ---"सोरठा"गर्मी है जी तेज, आँच आती है घर घरनींद न आती सेज, चुनावी चाल डगर में।।होगी कैसी शाम, सुबह में बहे पसीना।वोट दिलाना राम, संग में दिव्य