ऊपर वाले कि करिश्मा देखा मैं हैरान और परेशान हु
जब किस्मत में लिखना ही ना था उसका नाम तो क्यों
इस दिल पे प्यार जगाया औऱ उसको करीब इतना
लाया की दुबारा दूर हों जाने की ख्यालो से ही दिल
घबराने लग जाता जब जिंदगी की उस मोड़ पे खड़ी
मैं इतजार उसका कर रही थी वो ही खुद कह रहा था
तुम्हे किसी और के साथ होना चाहिए
मुझे मेरी एक तरफ प्यार में कोई परेशानी नही थी मैं
हमेशा ही खुद को खुद में और उसके प्यार में खोए
रखती दुनिया मे बहुत है मुझे प्यार दिखाने वाले मगर
ये दिल तो पागल है जो उसके लिए हर बार तड़प उठता
और मुझे समझ ही ना पता
कभी कभी अजीब बैचेनी से लड़ने लगता दिल प्यार
के लिए तरसता है उसकी कमी महसूस होती फिर दिल
खुद से ही सौ सवाल करता है
जब लकीरों में वो नही था तो क्यों इस दिल पे उसका नाम
लिखा गया जब लिखा ही गया तो दूर क्यों हो गया वो
क्या उसको मेरा प्यार ,, उसको कोष नही ना सकती वो
प्यार है मेरा उसे दर्द में भी ना देख सकती भले मैं दर्द में
रहू आँसू में रहू वो खुस रहे बस मेरी उसी में खुसी है