आज फ़िर याद तेरी आई है , आज फ़िर याद तेरी आई है !
हर तरफ़ मेरे वही मन्ज़र है , ज़र्रे ज़र्रे मे वो तन्हाई है !
चाहतों की यहाँ तमन्ना है , ख्वाहिशों की फुहार आई है !
भीग़ जाना तो मेरी मर्ज़ी है , पर बरसना तेरी वफाई है !
आज फ़िर याद तेरी आई है ! आज फ़िर याद तेरी आई है!
कुछ घड़ी देखता रहूँ तुमको , यूँ ही बस चाहता रहूँ तुमको !
तेरी वुल्फ़त पे ऐतबार करूँ , दिल में ख्वाइश ये उमड़ आई है !
आज फ़िर याद तेरी आई है , आज फ़िर याद तेरी आई है !
वो उलझना तेरा लताओं सा , वो सिमटना तेरा अदाओं सा !
वो बिखरना तेरा हवाओं सा , वो बरसना तेरा घटाओं सा !
आज भी याद मुझे आता है , दिल में इक ख़लबली मचाता है !
और मुझसे ये पूँछ जाता है !------------
क्यूँ तुमने आज मुझे छोड़ दिया? मेरा दिल काँच सा क्यूँ तोड़ दिया ?
तुमने तो सिर्फ़ एक लब्ज़ कहा , पर हवाओं का रुख़ भि मोड़ दिया !
जहाँ सावन उमड़ने वाला था , वहाँ वीराना कर के छोड़ दिया !
मेरी वुल्फ़त का ये ईनाम दिया , मुझे बेगाना कर के छोड़ दिया !
मुझे बेगाना कर के छोड़ दिया !
मुझे बेगाना कर के छोड़ दिया