आठ साल की मीनू पूरे घर में उछल रही थी। आज वह बहुत खुश थी क्योंकि वह कल अपनी नानी के घर जो जाने वाली थी। उसने अपनी सहेलियों को बता दिया था कि "हम कल नानी के घर जाएंगे, ट्रेन में बैठकर जाएंगे, खूब मजा आएगा।"
मीनू की माँ पैकिंग करने में व्यस्त थीं। मीनू उनसे बार-बार पूछ रही थी कि "हम कब जाएंगे?" "कितने बजे जाएंगे? मैं कौन सी ड्रेस पहनूॅंगी?"
सुबह के नौ बजे मीनू अपने पापा मम्मी के साथ रेलवे स्टेशन पहुॅंची। ट्रेन आने में अभी थोड़ा टाइम था। थोड़ी देर बाद ट्रेन आ गई। और यात्रियों में भगदड़ मच गई।
मीनू के पापा ने मीनू को गोद में उठा लिया और जनरल डिब्बे की तरफ दौड़ लगाई। उसकी मम्मी उनके पीछे थीं। वो ट्रेन में चढ़ गए और उन्हें बैठने की जगह भी मिल गई। लेकिन मीनू उदास थी, क्योंकि उसे खिड़की के पास बैठना था। वह मम्मी से बार-बार जिद कर रही थी। मम्मी ने उसे समझाया कि "बेटा वहाँ जगह नहीं है, इसलिए चुपचाप यहीं बैठी रहो। खिड़की के पास साठ-पैंसठ साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे। उन्होंने कहा कि "बेटा खिड़की के पास बैठना है, बाहर देखना है। आजा मेरे पास बैठ जा।"
यह सुनकर मीनू की आॅंखें चमक गईं। उसने मम्मी पापा की तरफ देखा उन्होंने भी सहमति में सिर हिला दिया। मीनू को ऐसा लगा जैसे चॉकलेट का पूरा पेड़ उसे मिल गया हो।
वह जाकर उस बुजुर्ग व्यक्ति के पास बैठ गई और खिड़की के बाहर देखने लगी। बहुत सारे पेड़, घर, पहाड़....
लेकिन थोड़ी देर बाद उसने अपनी मम्मी से कहा कि मुझे आपके पास बैठना है। मम्मी ने उससे कहा "वहीं बैठी रहो बेटा।" मीनू फिर बाहर देखने लगी, लेकिन अब उसे वह सब अच्छे नहीं लग रहे थे। उसने फिर से कहा "मम्मी मुझे आपके पास बैठना है।"
मम्मी ने कहा "अभी तो तुझे खिड़की के पास बैठना था। अब जगह मिल गई है तो बैठना नहीं है।"
तभी मीनू के पापा बोले कि "ठीक है बच्ची है अब बैठना नहीं है तो उसे बिठा लो अपने पास।
मीनू मम्मी के पास आकर बैठ गई। पूरे रास्ते चुपचाप बैठी रही। नानी के घर पहुॅंच कर भी उदास दिख रही थी। मम्मी ने सोचा शायद थक गई होगी।
दूसरे दिन मीनू ने मम्मी को बताया की ट्रेन वाले अंकल बहुत गंदे थे। मुझे उनके पास बैठना अच्छा नहीं लग रहा था। वह बार-बार मेरी पीठ पर नीचे की तरफ हाथ लगा रहे थे। सुनकर मीनू की मम्मी के पैरों तले जमीन खिसक गई उसने अपना माथा ठोका कि क्यों वह अपनी बच्ची की बात समझ नहीं पाई।
संदेश :- हम अक्सर अपने बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं देते और उनकी समस्या को समझ नहीं पाते, हमें हमेशा अलर्ट रहना चाहिए और बच्चों को गुड टच, बैड टच के बारे में बताना चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए। कि ऐसी परिस्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए।