शब्दों की माला
शब्दों की मालाशब्दजब तक मुझको न था उचित ज्ञान,शब्दों के प्रयोग से थी मैं अनजान,न था इन पर मेरा तनिक ध्यान,न ही थी इनकी मैं कद्रदान।मंडराते थे ये मेरे आसपास,छोड़ते न थे कभी मेरा ये साथ,इनको मुझसे थी यही एक आस,कभी तो इनका मुझे होगा एहसास।धीरे से मुझे इनसे प्यार हुआ,इन शब्दों