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तुम काशी और मैं घाट

19 फरवरी 2022

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तुम मेरे लिए काशी हो
मैं जितना प्रेम काशी से
करता हूं उतना ही प्रेम
मैं तुमसे करता हूं,
जलती चिताओं का 
घाट और किसी के अपनो 
के बिछड़ने का जो दुख है,
मैं तुम्हें उसी दुख जैसे याद 
करता हूं जब तुम मेरे 
पास नही होती,
तुम यदि बनना चाहों कुछ
तो काशी बन जाना और
मैं यदि कुछ बनना चाहूंगा 
तो वो काशी का घाट ही होगा 
और हमारा यह मिलन सदियों 
तक विश्वनाथ के रूप में विद्यमान रहेगा।

जोशी दुर्गेश

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