shabd-logo

तुम्हें...

7 दिसम्बर 2021

28 बार देखा गया 28
अपने अंतस मन में
वसा रखा है,तुमको!

       चलने की पदूचाप
        नुपुर का झुनझुनांना!

धीरे से नयन उठाक
गर्दन नीची कर जाना!

         कुछ ज्यादा हुआ तो
          धीरे से मुस्कराना...!

सव संजोए रखा है,
अपने अंतस मन में!
            -यू.एस.बरी✍️


यू.एस.बरी की अन्य किताबें

1

जिंदगी

5 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/618c171dd

2

सफर

7 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>मुझे मालुम है</div><div> ले वैठी होगी,</div><div> किसी

3

तुम्हें...

7 दिसम्बर 2021
0
1
0

<div>अपने अंतस मन में</div><div>वसा रखा है,तुमको!</div><div><br></div><div> &nbs

4

परिष्कृत प्रेम..

7 दिसम्बर 2021
1
0
0

<div>(१)</div><div>मेरा</div><div>र्पूण </div><div>अधूरा</div><div>परिष्कृत</div><div>प्रेम</di

5

मेरे आज का दिन

9 अगस्त 2022
0
0
0

         आज दिन सुन्दर बीता,कहानियों की पांडुलिपियां तैयार हो गयी हैं!अब प्रकाशन के लिए तैयार हैं!आज बहुत सारी कविता ऐं लिखीं और संस्थाओं को भेजी!समानता वादी शोध संस्थान भारत से दो प्रमाण पत्र प्राप्त

6

मेरे आज का दिन

9 अगस्त 2022
1
1
0

         आज दिन सुन्दर बीता,कहानियों की पांडुलिपियां तैयार हो गयी हैं!अब प्रकाशन के लिए तैयार हैं!आज बहुत सारी कविता ऐं लिखीं और संस्थाओं को भेजी!समानता वादी शोध संस्थान भारत से दो प्रमाण पत्र प्राप्त

---

किताब पढ़िए