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परिष्कृत प्रेम..

7 दिसम्बर 2021

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(१)
मेरा
र्पूण 
अधूरा
परिष्कृत
प्रेम
वढ़ 
चला
है
र्पूणता
की
ओर!
(२)
अहसास
संवेदनाओं
छुअन
फिसलन
प्रेम
आकांक्षा
कहां 
टिका
है
मेरा
प्रेम !
(३)
पाना
खोना
और
पाकर
खोना
मिटा
है
गढा़
है
मेरा
प्रेम !
(४)
टिकुली
विन्दी
काजल
लाली
नुपुर
किस
में
फंसा
है
मेरा
प्रेम !
(५)
घर 
आंगन
छत
मुडे़र
वगिया
कहां
रुका
है
मेरा
प्रेम !
(६)
कविता
कहानी
एकांकी
कहां
लिखा
है
मेरा
प्रेम !
(७)
व्रत
उपवास
पूजा
पाठ
कहां
छुपा
है
मेरा
प्रेम !
(८)
सुबह
शाम
दिन
रात
कहां
रुका
है
मेरा
प्रेम !
(९)
आंखें
मन
हृदय
और
सकल
शिराओं
में
कहां
दिखा
है
मेरा
प्रेम !
(१०)
इनके
उनके
मेरे
तेरे
कहां
वचा
है
मेरा
प्रेम !
  -यू.एस.बरी✍️

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