कई बच्चे एक बच्चे की हँसी उड़ा रहे थे।
और वहीं गाँव के सरपंच आ रहे थे।।
बच्चों को इस कारण हँसी आ रही थी।
उस बच्चे के पैरों में छह-छह उंगलियाँ थी।।
बेचारा वह बच्चा शर्म के मारे रो रहा था।
पर कोई भी उसका साथ नहीं दे रहा था।।
सरपंच ने सब बच्चों को डांट दिया।
और सबको चुप रहने का आदेश दिया।।
जब बच्चे चुप हो गये तो सरपंच बोले।
है कोई विशेषता तुममे तो कोई बोले।।
जो कोई अपनी एक विशेषता बतायेगा।
वह मुझसे एक सुन्दर इनाम पायेगा।।
सुन सरपंच की बात बच्चे शांत हो गये।
क्या बताये हम सब अवाक हो गये।।
तब छह उंगलियों वाला बच्चा आगे आया।
मेरे पैरों मे छह उंगलियां हैं उसने बताया।।
सरपंच बोले तुम्हारी विशेषता सबको बताता हूॅ।
और तुम्हें एक जोड़ी जूते खरीद कर देता हूँ। ।
इनाम पाकर वह बच्चा खुश हुआ।
हमने देखा उन बच्चों का मुंह उतरा हुआ।।
महेन्द्र "अटकलपच्चू"
ललितपुर (उ.प्र.)