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विश्व गुरू भारत सन् 2050 मेरा एक हसीन ख्वाब

29 अक्टूबर 2021

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बहुत लम्बे समय के बाद या यूं कह सकते हैं कि मुझे ठीक से याद भी नही कि आज से पहले कब ऐसा हुआ होगा मेरे साथ, कल जल्दी नीद ने अपने आगोश में ऐसे लिया कि पता ही नही चला कब भोर हो गयी, दिन चड आया। आंख तब खुली जब मेरे कानों में माँ का प्रसाद पहुँचा।

बात करता हूँ कल रात नीद की बाहों में रहते हुए जो हशीन ख्वाब देखा उसकी, मैं एक छोटे से शहर में हूँ। सड़क के दोनों तरफ दुकानें हैं। आसपास गौ मूत्र के अधिकृत विक्रेता, शुध्‍द और मिलावट रहित गोबर के लिए सम्पर्क करें, खली चूनी रेस्टोरेंट आदि के बोर्ड जगमगा रहे हैं। एक दो दुकानें मल्टीनेशनल कम्पनियों के वितरकों की भी हैं। ये पहले खाद,  बीज, कीटनाशक आदि बेचते थे। अब ऐसा पशु आहार बेचते हैं,  जिसको खाकर गाय ज्यादा गोबर करती है। जो गाय जितना ज्यादा गोबर और मूत्र विसर्जन करती है, उतनी मँहगी बिकती है। 

शहर के लोग इस समय देश भक्ति से भरे हुए हैं। पाकिस्तान से निर्णायक युध्द होने वाला है।  दुकानों पर बैठे मोटे तुंदियल रह रह कर "जय जय श्रीराम" चिल्लाते हैं। ट्रकों में भर-भरकर पूजन और हवन सामग्री सीमा पर पहुँचाई जा रही है। इनके साथ पुरोहित कालेजों से स्नातक योद्धा रणभूमि में जा रहे हैं। ये ऐसे ऐसे मंत्र जानते हैं जिनको सुनकर टैंक ध्वस्त हो जाते हैं। 

सड़क और रेलमार्ग से भारी मात्रा में गोबर और गौमूत्र बार्डर पर पहुँचाया जा रहा है। पाकिस्तान का अन्त निकट है। 


और चीन?  

चीन आजकल गौमूत्र और गोबर का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत चीन से इनका आयात करता है। 

दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध हैं। 

कभी-कभी लोग शिकायत करते हैं कि चीन से आनेवाले गोबर में मानव मल की मिलावट है!

आगे दुकान में कुछ अंधेरा सा दिख रहा है मन में कई ख्याल और सवाल जन्म ले रहे हैं। इस चकाचौंध के बीच अंधेरा कैसा ? कौन होगा यहाँ ? किस तरह की दुकान है ये ? जैसे ही मैं उस दरवाज़े पर पहुँचा, वहाँ कोई नजर नही आ रहा था, मैंने डोर बैल बजाई फिर भी कोई जवाब नही मिला। फिर मैं मन में अनगिनत सवाल लिए एकदम शान्त सा वहाँ खड़ा था। तभी मुझे पीछे से कहीं दूर कोई आवाज़ मेरे कानों में सुनाई दी। मैं चौका, वो आवाज़ मेरी माँ जी की थी जो चाय लेकर मुझे बहुत देर से आवाज़ लगा रही थी। मैंने जल्दी से कमरे का दरवाज़ा खोला, माँ से चाय ली। माँ ने जल्दी-जल्दी में दो चार प्रवचन दिये और चल दी। मैंने भी वापस दरवाज़ा बंद किया, चाय पीते हुए सोचने लगा ये सब क्या था जो अभी तक मैं देख रहा था, मेरी हंसी फूट पड़ी। मेरी हंसी की आवाज़ बाहर काम कर रही मेरी माँ के कानों तक पहुँची तो फिर बोलने लगी, तेरा अभी समय नही हुआ उठने का लोगों को देखो, मैं न जगाऊँ तो दिन भर सोया रहेगा। मुझे लगता है शायद कभी ऐसा ही न हो जाए, खैर (मैं मेरी नीद) इस पर किसी और रोज खुल कर बात करेंगे।


♦️ महान विचारक व लेखक सेपियन्स की किताब ‘मानव जाति का संक्षिप्त इतिहास’ में एक बेहद खूबसूरत लाईन लिखी गई है— 


“आप किसी बन्दर को यह विश्वास नहीं दिला सकते कि वह आपको एक केला दे दे तो उसे जन्नत में असंख्य केले मिलेंगे। ऐसा विश्वास सिर्फ मनुष्य को दिलाया जा सकता है।”

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