श्लोक का अर्थ
संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा, "पप्पू, इस श्लोक का अर्थ बताओ।'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"पप्पू: राधिका शायद रस्ते में फल बेचने का काम कर रही है।गुरू जी: मूर्ख, ये अर्थ नही होता है।चल इसका अर्थ बता, 'बहुनि मे व्यतीतानि, जन्मानि तव चार्जुन'।पप्पू: मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं,सभ