‘यार जादूगर’ हिंदी साहित्य की मुख्य धारा के उपन्यासों में विषय-वस्तु के लिहाज से एकदम नया और चौंकाने वाली कहानी है। कल्पना की जमीन पर बोया गया ऐसा यथार्थ जो मानवीय संबंधों और उसके मनोविज्ञान पर दार्शनिकता की गाँठ खोलता रेशा-रेशा उघाड़ते हुए एक प्राकृतिक शाश्वत सत्य के समीप पहुँच पूर्ण होता है। ‘यार जादूगर’ मृत्यु का महोत्सव है और जीवन का लोक संगीत भी, जो मृत्यु की अनिवार्यता को स्वीकार कर जीवन की सार्थकता को मलंग हो स्वीकार करने की कोशिश है।
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