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यार, मौलाना!

15 फरवरी 2022

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आज सुबह यादों की गुल्लक

मैंने फोड़ी यार, मौलाना!

कुछ सिक्के निकले...


जो तूने अपने अब्बू से,

और मैंने अपने बाबा से, 

चुरा के रखे जुराबों में, याद है...?


एक नोट मिला, मैला-कुचैला,

पर खुशबू थी बिरयानी की, 

जो ठूँसी थी मेरे मुँह में, 

ये कह के 'जल्दी खा पंडित,  

अभी अम्मा तेरी नहा रही है' l


एक चिट्ठी थी, अधकचरी सी,

मुझसे लिखवाई थी तूने,

दो चोटी वाली लड़की को,

जो मुझे देख कर हँसती थी !


कई साल हुए हम मिले नहीं, 

क्या आएगा दीवाली पर?

आना तो बिरयानी लाना,

अम्मा को अब भी पता नहीं है l


एक बात बता कि अब मुझको 

तू 'पोंगा पंडित' बोलेगा, 

मैं तुझे 'फिरंगी मौलाना',

क्या गुड़ सी अब भी चिपकेंगी,

लब पे वो लड़कपन की गाली?

- साहिल 

ट्विटर: @Saahil_77  

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