Ek koshish ki hai सुनिएगा जरूर
0.0(0)
13 फ़ॉलोअर्स
14 किताबें
ख्वाबों में जिसको हमने था चाहा वो ही हमें क्यूँ सताने लगे। माँगी थी रब से जिनकी खुशियाँ वो ही हमें क्यूँ रुलाने लगे। बड़ी मुश्किलों से संभले हैं अब ऐ दिल तू फिर किसी से ना लगे। चाँद भी अपनी मौ
एक बात रह गई थी अधूरी जो चाही हमें करनी पुरी उन चाहत को अबाद करे फिर एक नई शुरुआत करें खामोश तब ये आंखें थी हल्की हल्की सी साँसे थी कुछ दिल से दिल की बातें थी चल दिल की सारी बात करे फिर एक नई शुरुआत क
बड़े दिनों के बाद इस मन में सन्नाटा सा छाया है | देख लकीरें हाथों की एक प्रश्न ज़हन में आया है | मन की खुशियों को बेचकर क्या खोया क्या पाया है | लाख उम्मीदें थी जीवन से कामयाबी की दौड़ मे
कमाल है कमाल है मचा हुआ बवाल है हड़बड़ी मन में है क्यों उठा रहे सवाल है क्या हुआ है क्या पता हर कोई ये पूछता सबको दिल की मत बता कुछ राज अपने तो छुपा जो हुआ नहीं अभी क्यों आ रहा ख्याल है अपने म
मैं रूठा हूं तुमसे मगर नाराज़ नहीं दूर नही हूं तुमसे, हूं आस पास कहींमाना ना है फिक्र तुझे मेरीचलो झूठी ही सही तुम कोशिश तो करो जताने की मैं खुद ही मान जाऊं मगरतुम कोशिश तो करो मनाने की
क्यों न चाहूं तुझको तू खास जो इतना लगता है मैं गैरों से क्यों आस करूं जब तू अपना सा लगता है क्यों न मांगू तुझको रब से एक फरिश्ता सा तू लगता है मैं ओरों की क्यूँ चाह करूँ जब तू अपना सा