उज्ज्वल भविष्य का प्रकाश-पुंज दिखाई देता है। यहाँ तप-तपस्या जैसे शब्दों का उपयोग नहीं है। यहाँ किसी देवात्मा का अधिष्ठान खड़ा नहीं किया गया है यहाँ तो उसके हृदय में विवेकानंद के कथनानुसार दरिद्रनारायणों की कामना ही झंकृत की गई है यह सत् शक्ति का
वर्दी क्या होती है, जानती हो? वह क्या महज़ कोई पोशाक होती है, जैसा कि समझा जाता है। सुनो वह पोशाक के रूप में ‘ताक़त’ होती है। उसी ताक़त को तुम चाहती हो। जिसको कमज़ोर मान लिया गया है, उसे ताक़त की तमन्ना हर हाल में होगी। हाँ, वह वर्दी तुम पर फबती ह